अनवट संपदा


ह्या उपक्रमात असे काही शब्द आहेत जे फारसे प्रचलित नाही. मायमावशी समूहाच्या सदस्यांनी हे शब्द कशा पद्धतीने  वाक्यात प्रयोग केले, तेही बघण्यासारखे आहे. 




अकरताळ्या (वि) हट्टी; माथेफिरू; कजाग; खोडकर; दांडगा 
अखई (क्रिवि) अखंड; अक्षयी
अखम (वि)    कोणतीही गोष्ट करण्यास असमर्थ; पंगू; निर्बल; अशक्त; रोगी; दुबळा
अगडदगड (न)    १. क्षुल्लक वस्तू; अडगळ; सटरफटर. 
                            २.अमर्याद, शुष्क, निरर्थक बडबड; वेडेवाकडे वागणे, बोलणे वगैरे. 
                            ३. शिळेपाके, जाडेभरडे अन्न; निळसत्व खाणे, भिकार खाणे.
अर्चि (सं (स्त्री)  ज्वाला; ज्योत; 
अजिन्नाफुस्की भित्री भागुबाई, भ्याड (सं)
(स्त्री) 
अदट           दृढ, अजिंक्य.
अनलस      आळस नसलेला , तत्पर , दक्ष , उद्योगी , मेहनती
अनर्गळ (वि) अनियंत्रित, अनिर्बंध, अमर्याद, उच्छृंखल; बेछूट, मनस्वी, स्वैराचारी
अपखडी     निंदा
अम्लान        प्रसन्न , प्रफुल्ल
अयब (पु) दोष; उणीव; खोड; व्यंग; न्यून
अहर्निश      दिवसरात्र 
आगरमाळिका (स्त्री.) नारळी , पोफळी यांच्या बागांच्या एकापुढें एक , एकसारख्या असलेल्या रांगा . [ आगर +                              माळ ]
आगीदुगी - (दुसऱ्यांचे) अपराध, मूर्खपणाचे चाळे, चुका इत्यादि (पुढे आणणे), 
                   उठाठेव, भानगड.  
                  आगीदुगीत नसणे - (कोणाच्या) भानगडीत नसणे
आभांड      आकाश; आभाळ; ढग; आभाळ येणे; प (प्रा.न) पासंग (वि) भांडखोर, खोडकर
आरळ (वि)  नाजुक, मृदू, अरळ
आरुष         ओबडधोबड,असमंजस,छांदिष्ट
आळी          हट्ट 
उडंगळ       आळशी
उतरजोडा (सं. पु) उपरणे
उन्मेखून (वि) मुद्दाम, ठरवून, दाटून
उत्रापावलाक (क्रि वि) प्रत्येक शब्दागणिक, पावलागणिक
एकारलेपणा (पु) एकाच पक्षाला,धर्माला,बाजूला,मताला प्रमाणाबाहेरचे महत्व देणे,असणे; एकांगी दृष्टीकोन असणे              
एढवळ     आत्तापावेतो
ऐंचण (स्त्री) (व. ऐचण) पडझड; अडचण; खेंचाखेंच; गर्दी. अडचणीची, गर्दीची जागा.  गवत, रान, झाडंझुडं                                              माजलेली जागा.
ओखटी       व्यर्थ, महत्वहीन
अंगीज (स्त्री) उरक; उठावणी; एखादे काम नेटाने पार पाडणे
कडेकपारी   उभे डोंगर
कलशारोपण - सर्वोच्चा ध्येय, इप्सित, फळ
काचावणे (क्रि) क्षीण होणे; भिणे; ध्यैर्य सोडणे; खचणे
कातवणे     चिडणे; चरफडणे (अनेक किचकट कामे इत्यादी अंगावर पडल्यामुळे)
कांडर         कळ, वेदना
कीत (पु)     द्वेष; गैरसमज; डूख; खुन्नस
कुरवंडी      ओवाळणे
कोल्हारी (वि) कृत्रिम, बनावट
कोलणे (क्रि) उचकणे; उडविणे; लोटणे, फेकणे.
खसपुदडा [वि]- घाणेरडा, नेभळट, वाईट, भिकार
खिळोट्या (वि) एखाद्याच्या कामात अडसर घालणारा
खोळबेला (पु) खुशाली
गयाळ, गयाळी (सं. वि) बिनवारस; पडित, सोडलेली, टाकलेली (मिरास, वतन, घर); परागंदा, देशोधडी झालेला                             (माणुन किंवा कुटुंब); बेपरवा; गचाळ, अजागळ, गरीब; मूर्ख, गैदी, वेडसर, गबाळ, भसभोंगळ,                              अव्यवस्थित (माणूस); टाकाऊ, फुसकी, वाईट (वस्तू) 
गवत्या गोमाजी (सर्वनाम) - अलबत्या गलबत्या मनुष्य, कोणीतरी टिकोजी
गळंगा (पु.) १. गवत, कडब्याची ताटे, पाने इत्यादींचा अस्ताव्यस्त पडलेला कचरा; अडगळ; गळाठा; पसारा                                (कागद, वस्त्रप्रावरण इ.चा); गाळसाळ; चोथा. (क्रि. पडणे, होणे.) २. (ल.) गोंधळ; घोटाळा :                                   ‘प्रत्ययाविण गळंगा होये । अनुमानज्ञानें ॥’ 
गुळकी - -खी-खें— गुंडी; बिरडें; बटन. स्त्रियांचे एक शिरो- भूषण; वेणीच्या आंत किंवा अंबाड्याच्या वर                                               घालवायाचें अग्र- फूल
गेहेपटू (वि) घरचा हुशार बाहेर कुचकामी
घनवटणे      गर्दी करणे; दाटणे, जमणे
घसरा (पु) ओरखडा, खूण, हिसडा - सपाटा, वेग, जोर - रेटा, धक्का - राग, कोप, दटावणी
चवकणे (क्रि) दचकणे; चकित होणे
चवड           ढेर ,गड्डी
चाखोळे      रिकामटेकड्या मंडळींचा जमाव
चापाचंदन (न.) नायनाट, सर्वनाश, सार्‍या तूपसाखरेचें चापाचंदन केलें.
चिणचिण - (स्त्री) धुसफुस; रागाची कुरकुर; चडफड; फणफण
चिमकणे (सं. क्रि) डोळ्यांनी संकेत करणे
जुगूल         १. जमाव, समूह २. सख्य 
जुगल (स्त्री). १. जूग जोडी २.सामना, बरोबरी
जुजरशी( स्त्री)  बारीक चौकशी
जोजार (पु)    मोठा संसारखटला, मंडळी, पसारा, व्याप. 
जोजारणे, जोजावणे  मोठे कुटुंब, खटला असणे; त्याच्या जवाबदारीखाली वाकून जाणे.  त्रासणे; कष्टणे.
झटयाळी (वि) नाना तऱ्हेच्या युक्त्या, हिकमती, कल्पना लढवणारा; युक्तिबाज;
झपूर्झा         ह्या शब्दाची व्याप्ती खूप मोठी आहे. ही एक अवस्था आहे झपाटलेपणाची..जे काम हाती घेतलं त्यात                      झोकून देऊन समर्पणाने त्या कामाची पूर्तता करताना एखाद्याची जी अवस्था होते तीच ही अवस्था
झुंग (स्त्री. प्रा) तांडा, समुदाय; टोळी; झुंड
टुकणी लावणे (क्रि) काही  मिळणार या आशेने  वाट पाहणे
टूक             कुशलता,कौशल्य
ठसठोंबरा (वि) टोमणा; तडाखा
ठेटमत/ढेटमत (न.) पाखंड मत
डकला (पु. प्रा) नदीच्या कोरड्या पात्रांत खणलेला झरा; डहुरा; डबके; पाण्याने भरलेला लहानसा डवरा
ढई (स्त्री)     जोराचा व नेटाचा प्रयत्न; त्रास घेणे; नेट;  पुष्कळ दिवस ठिय्या देणे; लोचटपणाने चिकटून राहणे 
ढेंगोजी (पु)   बढाईखोर, प्रतिष्ठितपणाने मिरवणारा क्षुद्र मनुष्य़
तकराळ (स्त्री) वस्तुस्थितीचा विपर्यास करून सांगितलेली हकीकत, बनावटपणा – दुसऱ्यास फसविण्याकरिता,                              गोत्यात आणण्याकरिता रचलेले कुभांड, आळ, तोहमत, दोषारोप, तकरीर - तकरार
तगदमा (पु)   अधिकाराचा दरारा; दबदबा; हुकुम चालेल असे वजन; 
                     अनुमानधपका, ठोकळ अंदाज ( क्रि वि) 
                      अनिश्चित; अनिर्णित; अनामत; मोघम; ठोकळमानाने; सरासरी अदाजाने; 
                       झटपट ; ताबडतोप; एका झटक्यात
तडकबोंब (स्त्री) एकदम उठणारी कळ; तिडइक, 
तरमूळपणे (प्रा.अ) पूर्ण लक्ष न देता
तवतवणे (क्रि) चिडणे; चरफडणे (अनेक किचकट कामे इत्यादी अंगावर पडल्यामुळे)
त्वंपुरा (पु) - शंखध्वनी, बोंब, आरडाओरडा
तळाफाटा    उधळपट्टी
तिरोहित (स. वि) डोळ्याआड झालेला
तुक (स्त्री)   ध्रुपदांच्या चार अवयवांची एकत्र संज्ञा (न) 
                   महत्व; वजन; योग्यता (०काव्य) 
                    तोल; जोख; वजन; तुलना; बरोबरी
तैख              आवेश, रागाचा झटका
तोस्तान—न.  तगादा; लकडा; निकड. 
तौरी(वि)      चिडखोर, तापट
थडवे (पु)     लहान तळे - नदीचा काठ; काठावरील जमीन
थेंटा              थिटा 
दापित—वि. १ शिक्षा दिलेला, सांगितलेला (मनुष्य). २ कोर्टानें निवाडा, निकाल करून देवविलेला (जिन्नस, देणें                           इ॰). [सं.] 
दाहट (वि)     धीट, धाडसी; चपळ; तलख; तरतरीत
दांडळणे (क्रि) युक्तीने फसविणे (याचा सध्याचा अर्थ अश्लील असावा असे कळले, शोध व्हावा)
दांडापेंडोळा (पु) ओळख, परिचय
देणलोण (पु) पैशाचा व्यवहार, सावकारी
दंदावा (पु)    द्वेष; आकस; चुरस (क्रि० धरणे; चालवणे; लावणे; मांडणे; पडणे; लागणे)
धकेचपेटे (पु. अव) १. टोले आणि ठोसे; धक्काबुक्की; मारहाण २. नुकसान; तोटा; घस ३. अपमान; निंदा
धादूस (वि)    समाधान पावलेला, तृप्त झालेला
धुमरा (वि)    एकदम न पेटता धुमसणारे सरपण
नकसकंगोरा (पु) नक्षीदार, कोरीव, खोदीव कंगोरा, कड, गोलची, खांचणी - नखरा, चोखंदळपणा, तोरे मिरवणे
नखदीप (पु, सं) नखांचे तेज
नरकाडी (स्त्री) फजिती
निर्वाळणे (प्रा. क्रि) निर्मळ करणे, पूर्ण करणे
निझाडा पु.    १ तुटवडा; पूर्ण आभाव. २ स्पष्ट नकार; साफ नाहीं म्हणणें. (क्रि॰ देणें). 'मी मागितलें परंतु त्यानें                              निझाडा दिला.' [नि + झाडा = साफ करणें] 
निझाडून-     साफसाफ; रोखठोक; स्पष्टपणें; निक्षून (नाहीं म्हणणें किंवा सांगणें).     
निटाळा (पु)    अती कडक उन्हाळा
निबरढोण      अतिशय टणक
नेआहा (पु)      प्रतिध्वनी
नेपाळणे (उ.क्रि)  सपाट, एकसारखी, एक पातळीची, मऊ, गुळगुळीत करणे (जमीन, गच्ची) चोळणे; मळणे;                             साफ करणे (मनुष्य, पशु यांचे अंग, मिशा, पोशाख) सुरळीतपणे वाहवयास लावणे; हाताने                                     बहावयास लावणे, वाहील असे करणे (पातळ पदार्थ) (अ.क्री) पृष्ठभागावरून सारखा,संथपणे वाहणे;                       थोडीथोडी उतरती होत जाणे
नेव्हारा (पु)     गाऱ्हाणे; तक्रार 
पर्यंकपंडित - (पर्यंक - पलंग) उंटावरून शेळ्या हाकणारा
पाठेळ (न)    ओझ्याचे जनावर; पाठवळ
प्रतोद        आसूड किंवा चाबुक
फकिस्त (बि) फटिंग; पोटापाण्याची पंचाईत असलेला; निर्धन
फरतोडा [पु] - झाड तोडल्यावर त्या जागी येणारा अंकूर
बारगळ (वि) स्वच्छंदी, उनाड, अनियत्रित
बालातप    सकाळचे कोवळे ऊन
बावकुफ    शहाणा
बुंथ (पु), बुंथी (स्त्री) - डोक्यावरून सर्व शरीरावर आच्छादनार्थ घेतलेले वस्त्र; ओढणी, खोळ, बुरखा; घुंघट -                                           आश्रयस्थान, - रूप; वेश - गवसणी, आच्छादन
बेक (ना) एका  शब्दात  विरोध दर्शवणारा शब्द.  उदा. मी एक म्हटले असता तो बेक म्हणणार
बांबालणे/बांबाळणे - विस्तारणे; वृद्धी होणे; खूप पालवी फुटणे
बोलभांड (वि) आवेशाने बोलण्याच्या व भांडण्याच्या कामात पटाईत
भगल (हिं) (स्त्री)  ढोंग; लबाडी; ढोंगी वर्तन
भगल उडणे (क्रि)  ढोंग उघडकीस येणे
भगली/भगल्या (क्रि) ढोंगी दांभिक कपटी (क्रि ०करणे/मांडणे/उडवणे) उपहास थट्टा फजिती
भंडावा (पु)  फजिती
मगदूर        गुणवत्ता , क्षमता 
मन मोहतीर  मनाचा मुहूर्त       
मडमडणे (क्रि) येणाऱ्या तापाची  किंवा दुखण्याची पूर्वचिन्हे होणे; अंग कसकसणे
मगमगीत - (वि) घमघमाट
मुद्गर            लाकडी हथोडा 
माजिवटा (पु)    १. मध्य भाग; मध्य. 
                         २. भर, उदा० ऐसिया बोधाचा माजिवटा - ज्ञाने १८.११८७ 
                         ३. उन्माद; मरण
माठळणे (क्रि.अ)   १. (जखम, गळू इ०) बरें होणे किंवा होऊ लागणे 
                              २. (मन, बुद्धी) आळसटणे, कामास असमर्थ होणे 
                              ३. (माणूस किंवा पशू) सुस्तावणे 
                              ४. (झाड) खुरटणे, वाढायचे बंद होणे, फिक्कट होणे, निस्तेज होणे
माभळभट [पु] - नेभळा,बावळट मनुष्य, कपटवेषी, दुसऱ्याची मालमत्ता उडविण्यात  उदार मनुष्य, बाह्यतः                                     साधुत्वाचा डौल व मनातून कपटी, माभळभटी (स्त्री)
मावळ         आजोळ(आईचं माहेर)
मांदोळा (प्रा. पु) समुदाय
मांदियाळी  समूह,समुदाय
मिहिका     धुंद, कोहरा, दवबिंदू, ओस की बूँद
मेदिनी (सं) भूमी; पृथ्वी
मेमटा        दिसण्यात साळसूद पण आतून दुष्ट
मोगरमूळ [पु]- अन्यधान्याची दानधर्मासाठी केलेली लूट
यदृच्छा (सं. स्त्री) स्वच्छंदीपणा; सहजगती, 
यदृच्छया (क्रि. वि) सहज, प्रयत्नाशिवाय
येकदेठीस लागणे - रांगेस लागणे; विल्हेस लागणे, उलगडणे
रकटे (ना)   जाडेभरडे कापड, जीर्ण वस्त्र, फाटके घोंगडे
राकडू (वि) निरस, वीट आणणारा
लचकुटा (वि) लतकुटा, कोडगा, निलाजरा
लपीथपी (स्त्री) लपंडावाचा खेळ
लापणिका [स्त्री] लांबलचक, कंटाळवाणी हकिकत; चऱ्हाट
लाहाते     (न) लाभ (वि) लाभदायक
लांझ्या        आरोप, संबंध
लिप्ताळा – गुन्ह्यांत सांपडलेला; गुन्ह्याचा आरोप आलेला; दूषित; एखाद्या कृत्यांत गोंवला गेलेला, गुरफटलेला.                          ओशाळा; मिंधा; अंकित; अधिन; दुसऱ्यानें केलेल्या उपकारांनीं मिंधा बनलेला;
वइलिया       लौकर, तातडीने
वर्चिल (वि)   इतर, किरकोळ; वरचिलें, वरचील—वि. 
                    १ इतर; अन्य; बाकीचें; उरलेलें; अवांतर. 'जन्मासवें श्रम वरचिलही गेले ।' -ज्ञा ९.४०४. 
                    २ वरील; वर सांगितलेलें. 'आतां येणेंसि कवण भिडे । हें पांडवसैन्य कीर थोडें । वरचिले निपाडें ।                            दिसत असे ।' -ज्ञा १.११९.
                    ३ आणखी. 
                    ४ किरकोळ; सामान्य. 'संसप्तक ते राक्षस अर्जुन तो रघुपती न वरचील ।' -मोकर्ण २.१२. वरकड                                पहा. 
वरडबोंबल्या (क्रि.वि) गुप्त ठेवावयाची गोष्ट सांगत सुटणारा
वस्त्र गोपन   फाटकी वस्त्र शिवणे
वळचन         छपराचा भिंतिच्याही पुढे आलेला भाग 
वारासार (स्त्री) - निरवानिरव , आवराआवर, व्यवस्था, नीट व्यवस्थित मांडणी, रचना,आटोपाआटोप
वालभ (सं. न.) प्रेम; आवड; प्रिती; तादात्म्य 
विल्हाळगौर (स्त्री) नेहमी कुरकुरणारी, पिरपिर लावणारी स्त्री, दुर्मुखलेली,.अभद्र , अशुभ बोलणारी, चिंतणारी 
विवटणे (क्रि)   स्पष्ट करणे
विंदान (वि) कौशल्य
विश्रब्ध-    शांत, निश्चल, निश्चिंत, निर्भय, विश्वासणारा 
वेगळेचार (पु.) १ विभक्तपणा (विशेषत: कुटुंबांतील माण- सांचा); 
                       २  विभक्तपणाची स्थिति. 'तुझ्या घरीं वेगळेचार झाला ही गोष्ट खरीं कां?'
वेझ (न.) मोती, मणी, रत्ने इत्यादींना पाडलेले भोक; वेजी पडणे, वेझ पडणे 
वेजी उतरणे - किंमत कमी होणे
वेपथणे (क्रि) चळचळा कापणे
वेहरण (न) आळ किंवा दोष येणे अथवा टाकणे
वंक (वि)   वांकडा; वक्र
शितरपाडी [स्त्री]- चपळता, हुशारी
शिराणी (स्त्री) अपूर्व;दुर्मिळ - उत्कट इच्छा - मौज - कळस; पुण्यसंचय; अपूर्वता
शेटाळणे (क्रि) अनादर करणे; फसविणे
सईम       (वि) १. स्वतःच्या अंगचा; स्वतःच्या शरीरासंबंधीचा; नखशिखांत असा.  
                       २ (ल.) अखंड; अविच्छिन्न; सलग [सं. स्वयं]
सलाट (वि)   भरपूर, चंगळ, विपुल
सव्यापसव्य   उलट-सुलट,यातायात,खटपट
साटी (स्त्री)    बदला, संग, ज्यावर ओझे ठेवतात तो गाडीचा भाग; चौकट; बरोबरी; सारखेपणा
साठोपा (पु)   संग्रह, संचय
सानिका      बासरी, वंशी,मुरली
साद्यंत         संपूर्ण, प्रारंभापासून शेवटपर्यंत
सोसमावशी  दागिन्यांचे हवे तेवढे ओझे सहन करायला तयार असलेली स्त्री
हरिंदा (पु)     तगादा; नेट; लकडा; सपाटा (०लावणे)
हणगोबा (पु) मूर्ख, अडाणी, सुस्त मनुष्य – 
हणगोबा करणे दुसऱ्यास काम करावयास लावणे – 
                       परदेशी गेलेला माणूस परत येईल की नाही हे ठरविण्यासाठी त्याची शेणाची प्रतिमा करणे –                                    एखाद्याकडून बळजबरीने काम करून घेणे
हळबळा (वि)   गोड व मनमिळाऊ स्वभावाचा
हिरमोड     अपेक्षाभंग
हंगवणे/ हंगून काढणे – केलेले उपकार वारंवार बोलून दाखवणे
हंडवंगी       दुराग्रही, हट्टी 
क्षपा (स्त्री)    रात्र 
क्षिप्र (वि)     वेगयुक्त; जलद; घाईचा (क्रि.वि) जलदीने; ताबडतोप
क्षौर             केशवपन, विशेष करून कोणाचा मृत्यू झाल्यास 
त्रपा [ सं.](स्त्री). १ लाज, विनय, मर्यादशीलता . 
                      २ संकोच,ओशाळगत,लाजरेपणा  
त्रपा येणे           लाज वाटणे,गोंधळ उडणे 

मायमावशीच्या व्हाट्सएप समूहावर  ''अनवट संपदा'' नावाने एक उपक्रम जवळ जवळ ३ महिने राबवला गेला. ह्या उपक्रमात क्रमानुसार दोन सदस्यांनी  दर आठवड्यात एक असा शब्द द्यायचा आहे जो फारसा प्रचलित नाही. इतर मंडळींनी त्या शब्दाचा प्रयोग करून एक वाक्य लिहायचे. उपक्रमाचे सोपे,साधे  पण उपयोगी आणि मजेदार स्वरूप होते. 

उपक्रमासाठी काही नियमही होते :

जे सदस्य सक्रिय आहेत त्यांची एक अक्षरानुक्रमाने यादी देत आहे. प्रत्येकाने आपला क्रम लक्षात ठेवावा. 

शब्द मराठी/हिन्दी कोणता ही असू शकतो.

मराठी आणि हिन्दीच्या काही  वेबसाईट इथे देत आहे. शब्द तिथून किंवा तुमच्याकडे जर शब्दकोश असेल तर तिथून  शोधता येईल. तो *अनवट* असावा, हे फक्त लक्षात राहू द्यायचे आहे.

शक्यतोवर शब्दकोष असेल तर त्याच्या पानाचा फोटो तुकडा किंवा शब्द आणि त्याची माहिती असावी, शब्दकोष हाताशी नसल्यास आंतरजालीय शब्दकोषांतून स्क्रीनचित्र टाकावे.  शब्द शक्यतोवर कमी वापरात असलेला किंवा कठीण शब्द असावा ज्याची या प्रकल्पाच्या अनुषंगाने ओळख व्हावी आणि शब्दसंचय वाढण्यास मदत व्हावी.

मराठी शब्दकोश 

दाते शब्दकोष: http://dsal.uchicago.edu/dictionaries/date/
मोल्सवर्थ शब्दकोष: http://dsal.uchicago.edu/dictionaries/molesworth/
तुळपुले शब्दकोष: http://dsal.uchicago.edu/dictionaries/tulpule/
वझे शब्दकोष: http://dsal.uchicago.edu/dictionaries/vaze/
ट्रास्लिटरल फाऊंडेशनचा शब्दकोष: http://www.transliteral.org/dictionary/

या शब्दकोषांतून कोणताही एक शब्द शोधला अगदी माहितीचा पण शब्द शोधला की ते पान क्रमांक पण दाखवतात.  त्या पान क्रमांकावर टिचकी लावली की त्या पानातले अनेक शब्द मग आपल्या छापिल शब्दकोषासारखे वाचता येतात आणि आपल्याला माहित नसलेला एखादा शब्द हुडकता येतो.

हिन्दी शब्दकोश 

https://hi.wiktionary.org/wiki/विक्षनरी:कठिन_शब्द

www.hindisamay.com/contentDetail.aspx?id=3159&pageno=१

https://hi.oxforddictionaries.com/

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अलकनंदा साने: आजचा शब्द आहे.  अनलस -- आळस नसलेला , तत्पर , दक्ष , उद्योगी , मेहनती
अर्चना शेवडे : सर्वोच शिखरावर पोहचतो ,तो  अनलस असतो ,तेव्हांच ते शक्य असते.
वसुधा गाडगीळ : अनलस असणे माणसाला आयुष्यात पुढे वाढण्याचे हेचं गुरूमंत्र आहे.
 राहुल फ़राज़ : बड़े अनलस१ से रोपे थे पौधे मैंने।
                      गर मैं अनलस२ होता,तो ये छाँव न होती।
१) मेहनत से
२) आळशी असता तर...

विवेक सावरीकर : उगवला तो अनलस मित्र,चला आता त्वरे  झटकू आपला आळस...
 वैजयंती दाते : सावरकरांच्या अनलस व्यक्तिमत्वाला माझे नमन असो.
मिलिंद खटावकर : अनलस व्यक्ती रोग मुक्त असतो
 राहुल फ़राज़ : सरहद पर खड़ा है वो 
                   हिफाज़त को अनलस१
                    है उसकी संगीन२ से ही
                    मुल्क में अमन कायम 
१) *दक्ष*
२) लोहे का एक प्रकार का तिपहला तथा नुकीला अस्त्र (जैसे—संगीन से हत्या करना)।

निशिकांत कोचकर : सोडूनी आळस, झाला अनलस
                            तोची गाठे, यशाचा कळस.
 शांता लागू : निवडणुकीच्या दिवशी सुट्टी असते म्हणून पाय ताणून झोपायचे नाही तर *अनलस* होऊन आधी मतदान करुन यायचे असते.
 सुषमा अवधूत:  कर्मठ माणूस अनलस असतो
 स्वरांगी साने : बाळाला लस देण्या करिता नेहमी अनलस रहा.
 रंजना मराठे : अनलस असतो तोच निरोगी  राहतो
 विशाखा मुलमुले : वाह ! छान उपक्रम   
      योग हमें आलस से अनलस की तरफ ले जाता है    
मिलिंद खटावकर : आशा है अनलस बगैर सभी शामिल होंगे इस उपक्रम में जो सोये है वो भी जग जाए।सक्रिय की फेहरिस्त बढ़े यही आशा।
 अलका फणसे : ढगाचे पांगरूण सारून 
                      डोकावून गेला माझ्या घरात 
                      तो दिनकर *अनलस*...

                   थंडगार तुषार पदरात भरून
                  ऋतु वेडी पैंजण वाजवत
                  कोसळली त्याच्या पाठीवर *अनलस*...

                   गेले भारावून
                 मी अचंभित,आंनंदित
                "ऊन पाऊसाचा खेळ"
                बघत बसले सारा दिवस *अनलस*...
 रश्मि वागळे : अनलस राहुन निसर्गाने दिले सुंदर धङे !
                   आळस न करता तुमीं ही वळा कर्मयोगा कङे !!
चेतन फडणीस : हे महाआळशी चेतन! अनलसपणा अंगी आण आणि पटापट एखादं वाक्य लिहून दे.
 रेखा मिरजकर : *अनलसे*  कार्यभाग साधतो,
                         साक्षेप होत होत होतो.
ऋचा कर्पे : *अनलस* शेतकरी राब राब राबतो म्हणूनच आपल्याला दोन वेळचं अन्न मिळतं।
रवींद्र भालेराव : अनलस असावे तर आपल्या पंत प्रधान मोदीजीं सारखे.
 रेखा मिरजकर : पाऊस साजन,व्योमी घालतो रिंगण
                       *अनलस* जीव द्याया धरा आलिंगन.
जयंत तेलंग : जीवनात नेहमी *अनलस* रहावे
                   जेणे करून प्रगति चा मार्ग। प्रशस्त होतो
 सुषमा ठाकूर : खूपच सुरेख उपक्रम. स्वागत आहे या उपक्रमाचे.
                      रिमझिम धारा हिरवाईस,
                     निसर्ग सारा झाला अनलस,
                     रंग साजिरे प्रत्येक फुलास,
                     आनंद गवसणी घाले गगनास..
चिन्मय पराडकर : यशाचे उत्तुंग शिखर माणसाच्या *अनलस* असल्या शिवाय लाभत नाही.
 जया गाडगे : दिन-रात अथक श्रम करी
                    भरून ललाटी कर्जदारी
                   कोटी-कोटींचे उदर भरी
                  बघ तो अनलस शेतकरी ।
 वृषाली आपटे : *अनलस* चींंटीयोंं से मिले प्रेरणा
                      एक जुट होकर काम करना ।
  मंदा गंधे : नमामि देवि नर्मदे
                 अनलस ,अविरत
                तुझ्या प्रवाहे
                सुखसम्रुद्धीने निरंतर
                जीवन बहरत राहे!
दीपक देशपांडे : वयाचा उत्तरार्ध -- स्वतः होऊनी ( दक्ष ) अनलस ,
                     रचिले सौम्य काव्य ....
                    वयाचा पूर्वार्ध -- स्वतः राहूनी  ( तत्पर ) अनलस ,
                      रचिले भाग्य भव्य .....
रंजना मराठे   : अनलस हा शब्द हिन्दीत पण आहे व अर्थ ही तोच आहे  
  जया गाडगे : प्रकृति का प्रकोप चाहें कितनी ही बार नीड़ तोडे़, *अनलस* परिंदे, फिर-फिर नीड़ निर्माण करते है।
 स्वाति श्रोत्री : माय मावशी समूह आहे अनलस
                    मी येथे सर्व शिकण्यास आहे अनलस.
आशा वडनेरे : 
                   आजची स्त्री  तू आहेस दक्ष
                   जुगारून सारे आळस
                   पदोपदी देते याची साक्ष 
                  चालते पुढे  पुढे अनलस
रामचंद्र किल्लेदार: जीवनात स्वप्न पूरे करायचे असतील          अनलस परिश्रम करावे लागतात।
 जया गाडगे : हो, मलाही हिन्दीत सापडला.
 जया गाडगे : अनलस - आलस्य रहित, जो लसित ना हो ।
 रेखा मिरजकर : हिंदीत मलाही सापडला
 शुभा देशपांडे : अनलस व्यक्तिच कर्मयोगी बनु शकतो
 रवींद्र भालेराव : ह्यात मुळीच शंका नाही की अनेक लोकांच्या अनलस प्रयत्नांमुळेच थायलैन्डमधील दुर्गम गुफांमधे अडकलेल्या 13मुलांचे प्राण वाचवता आले.
राधिका इंगळे : अनलस हिन्दी, मराठी आणि संस्कृत तीनही  भाषेत आहे. गीतेत आहे.
राधिका इंगळे : सूज्ञ मानवा आलस्य नच तू करावे,
                      अनलस भावे कर्म तू व्रत धरावे
                     आलस्य करता शरीरी  नाना विकार, 
                     अनलस राहता तव सुख मिळे चिकार.
जया गाडगे : भाषा समृद्धीसाठी, पोटतिडिकीने, अलकनंदा ताई करत असलेले *अनलस*,अविरत व अनवट प्रयत्न,वाखाणण्याजोगे आहेत.
नयना आरती कानिटकर : शब्दावर एक मराठी हायकू
                                   वाहते ढग
                                   अनलस होताच
                                   थेंब साचती
राधिका इंगळे : पाहता मन 
                    अनलस मानवा 
                     करी मुजरा. 

                    मिळता फुले
                    अनलस रमणी 
                    करी गजरा. 

                   पाहता ढग 
                  अनलस मयुर 
                  नृत्य करितो. 

                 पाऊस येता
                 अनलस कृषक 
                  धान्य पेरतो. 

धनश्री देसाई : माय मावशीचे मराठी समृद्ध व्हावी ह्यासाठी अनलस प्रयत्न सुरू आहे. 
रेखा मिरजकर : यशाचा मार्ग  नेहमी अनलस कष्टातून जातो.

 २०/०७/२०१८ 

अर्चना शेवडे : आजचा शब्द आहे प्रतोद -- आसूड किंवा चाबुक
जया गाडगे : 1. प्रतोद : (page 2123)
१ वाट पाहणें. २ अपेक्षा. 'ऐशी प्रतीक्षा हृदयांत देवा ।'-वामन, नृसिंहदर्पण २४. [सं.]
प्रतोद—पु. १ चाबूक; कोरडा; असूड. 'भीष्मवधाया धांवे हरि हस्तें कवळुनि प्रतोदास ।'-मोभीष्म १०.९५. २] Nishikant Kochkar: माणूस कितीही अन्यायी,अविचारी, समाजबाह्य वर्तणुकीचे वागला, पण वेळीच सावध नाही झाला तर ईश्वरी प्रतोदचा फटका योग्य वेळी त्याला बसतो, हे माणसाने गृहीत धरून असावे.
 अलकनंदा साने: लहान मुलींवर अत्याचार झाल्याची बातमी वाचली की वाटतं न्याय व्यवस्थेच्या *प्रतोद* (वाट बघणे) पेक्षा आपणच  *प्रतोद* (चाबूक) हाती घेऊन निवाडा करावा.
  वैजयंती दाते : शहाण्याला शब्दाचा प्रतोद पुरेसा असतो.
  आभा निवसरकर  : हाती प्रतोद मग का प्रतोद...
  जया गाडगे  : शब्दांचे प्रतोद वर्मावर शस्त्रापेक्षा जास्त खोल घाव घालतात.
  वसुधा गाडगीळ : दरवर्षी बजट आलं की माहागाईचा प्रतोदाचा फटका मध्यमवर्गाला बसतो।
  रवींद्र भालेराव  : काश्मीरमधे सैनिकांवर दगडफेक करणाऱ्यांवर कडक कारवाई करायला शेवटी शासनाला प्रतोद सोडून प्रतोत हाती घ्यावा लागला.
  सुषमा अवधूत  : कोणाकडून कसलाही प्रतोद (अपेक्षा) करू नये
   रेखा मिरजकर : प्रतोदानी झालेल्या जखमा पट्कन ब-या होतात,पण शब्दांच्या प्रपोदांचे काय? त्या जखमा जरी ब-या झाल्या तरी त्याचे वळ मनावर कायम रहातात.
  शांता लागू : माणसाने माज करु नये कारण नियंता वर बसला आहे त्याच्या हातात प्रतोद आहे हे विसरून कसे चालेल?
 रश्मि लोणकर : सकाळ पासून प्रतोद (वाट पाहत) होते मुले अता तरी अभ्यास करतील पण हातात प्रतोद (चाबुक घेतल्या शिवाय ते काही ऐकणार नाही
 मिलिंद खटावकर  : प्रेमानं काम सोपे असते *प्रतोद* वापरू नयेत
 सुषमा अवधूत : चूक नसतांना कोणी आपल्यावर शब्दांचे *प्रतोद* उगारल्यास फार वाईट वाटते
अभय आरोंदेकर : ह्या देशाच्या लोकांना फक्त सरकार कडूनच सर्व प्रतोद असतात स्वत काही करायच नाही
जया गाडगे : प्रेमाने काम सोपे होते, प्रतोद वापरू नये / प्रेमाने कामं सोपी होतात प्रतोद वापरू नयेत.
अलकनंदा साने: प्रतोदत होते , असं हवं का ? जया गाडगे ?
अलका फणसे : मनाला साकडं घालण्यासाठी विवेकाचा प्रतोद सतत मनावर नेमून ठेवणे गरजेचे आहे.
जया गाडगे : प्रतोद होते असे वाचताना खटकत आहे. प्रतोद म्हणजे अपेक्षा धरून चालले तर " सकाळपासून प्रतोद होती" असे असावे असे मला वाटते. प्रतोदत होते.... पहावे लागेल.
अलकनंदा साने: पुल्लिंग शब्द आहे. होती कसं होईल ?
जया गाडगे : मी अपेक्षेच्या संदर्भात लिहिले पण प्रतोद शब्द पुल्लिंग आहे हे विसरले. शांताताई सांगू शकतील का ?
रेखा मिरजकर  : बरोबर आहे अलकनंदाजी,प्रतोदत होते ,असेच होते.इथे त हा विभक्ती प्रत्यय आहे.
 अलकनंदा साने: धन्यवाद रेखाताई
 जया गाडगे  : अनुप्रासाचा प्रयत्न...
प्रियंवदेच्या प्रासादी, प्रजेच्या प्रत्येक प्रमादावर, प्राण्यासम प्रतोदचा प्रहार !
शांता लागू  : झी न्यूजच्या लिंकवर आणखी वेगळ्या अर्थाने'प्रतोद' चा वापर केला आहे.संमती असेल तर शेअर करते.
अलकनंदा साने: हो चालेल, विषयान्तर्गत वेगळे काही फायद्याचेच असते .
शांता लागू  : http://zeenews.india.com/marathi/news/mumbai/state-ministers-level-will-be-chief-whip-in-the-legislative-and-facilities/359525
सुषमा ठाकूर   : शब्दफुलांनी शहाणपण येत नसल्यास शब्दप्रतोदच  योग्य ठरतो.
मंदा गंधे : जळजळीत नजर आणि बोचरे शब्द काम करीत असतील,तर प्रतोदाचे कामच काय?       -मदा गंधे.
निशिकांत कोचकर : प्रतोद चा अर्थ दाते, कर्वे शब्दकोशात पक्षातील लोकांस सूचना देणारा, व्हिप म्हणून केला आहे.
 अलकनंदा साने: म्हणजे एक आणखी अर्थ ?
 अलकनंदा साने: इथे प्रतोदचा काय अर्थ आहे ? मला सुरवातीला वाटले की कमांडोचा अर्थ असेल पण नंतर त्यात सत्तापक्ष, विरोधीपक्ष वगैरे आले .
 शांता लागू : मला वाटलं महत्त्वाचे, प्रमुख, पदाधिकारी असा असावा.
 अलकनंदा साने: पण ते स्पष्ट नाहीय.
 शांता लागू    मग त्या बातमीतून आणखी दुसरा काय अर्थ निघू शकतो. मला ते स्पष्टच वाटतंय.
 वृषाली आपटे   : hindi2dictionary.com में अर्थ - 1. छड़ी; कोड़ा; चाबुक 2. किसी को किसी काम के लिए उत्तेजित करना या विवश करना 3. अंकुश।
 दीपक देशपांडे  : ह्यात कोरडा  म्हणजे वाळलेला , हेच अर्थ  समझावे की, दुसरे  अर्थ ही असू शकतो.
ऋचा कर्पे : प्रतोद हाती घेवूनी दुष्टांना धडा शिकवणे, आता हाच एक पर्याय उरला आहे.
माधुरी खर्डेनवीस  तानाशाह शासक के प्रतोद से तंग आकर आखिर प्रजा ने प्रतोद हाथ में लिया, और इस प्रकार क्रांति की शुरुआत हुई।
 वृषाली आपटे: यातायात के नियमों का उल्लंघन करने वालों को प्रतोद की भाषा ही समझ आऐगी।
 : *आएगी
मिलिंद खटावकर : चंद्रकांत खैरे यांना ‘मुख्य प्रतोद प्रमुख’ पदाचा राजीनामा देण्याचे आदेश
स्वाति श्रोत्री : माय मावशी के सर्व सदस्य एका मेकाचे नेहमी सोबत राहो हीच ईश्वर चरणी माझा प्रतोद आहे.
जया गाडगे : कोरडे मारणे - चाबूक मारणे
शुभा देशपांडे : मनुष्याच्या जीवनांत दुखःचे मुख्य कारण दुसर्‍या कडून प्रतोद करणे.
जया गाडगे : दुखाःचे,   जीवनात
दीपक देशपांडे : प्रतोदचा ( चाबूक )प्रहार शेवटी निसर्गा कडुन  -- कवि राज *"नीरज "* ह्याचे दुःखद निधन .
रेखा मिरजकर   : मनुष्याच्या  जीवनात दु:खाचे मुख्य कारण म्हणजे  दुस-याकडून प्रतोद केला जाणे,अशी वाक्यरचना पाहिजे.
राधिका इंगळे : विधिमंडळातील मुख्य प्रतोदांना  मिळणार लाल दिवा , मंत्र्यांचा दर्जा आणि इतर सुविधा . झी न्यूज चोविस तास.
 या संदर्भात प्रतोदचा अर्थ  दंडाधिकारी असू शकतो.

२७/०७/२०१८ 

अभय आरोंदेकर : आजचा शब्द आहे *अहर्निश*
 स्वरांगी साने  : अहर्निश काम करुन दमले ग बाई मी..
 वसुधा गाडगीळ : होतकरु माणुस *अहर्निश* पोटा करिता राबत असतो.
 अर्चना शेवडे : अहर्निश ईश्वराचे स्मरण करता करता तो भेटेल हे नक्कीच आहे
 स्वरांगी साने महावीर स्वामीनी अहर्निश २४ वर्ष तप केला होता
 शांता लागू  : ध्येयाचा अहर्निश ध्यास असल्याशिवाय ध्येयप्राप्ती कशी होणार?
अर्चना शेवडे : अहर्निश ईश्वराचे नामस्मरण केल्यास तो भेटीला स्वत: येतो हे निश्चित आहे
राधिका इंगळे : भारतातील प्रत्येक नागरिक जर  अहर्निश राष्ट्र निर्मितीसाठी प्रयत्न करत राहिला तरच देशाची प्रगती होईल.
निशिकांत कोचकर :अहर्निश सेवामहे एका बैंकेचे ध्येयवाक्य आहे.
विशाखा मुलमुले : अहर्निश सांसों का स्पंदन ही जीवित रहने का प्रमाण है एवं उन सांसों की उपयोगिता बनाये रखना जीवन है ।
 मंदा गंधे  : भारतीय रेलसेवा अहर्निश कार्यरत असते.
 रेखा मिरजकर : दिवसभर अहर्निश कामाच्या रेट्यात भगवंताचे नाव घ्यायला वेळ कोठे?
 विवेक सावरीकर : हर श्वांस के साथ नये नये विचार भी *अहर्निश* मन में चलते रहते हैं
 जया गाडगे : *अहर्निश* प्रयत्न हीच यशाची गुरूकिल्ली आहे.
 ऋचा कर्पे  : अहर्निश सेवा हाच संतांचा गुण.
शुभा देशपांडे : ध्येय गाठण्यासाठी "अहर्निश"प्रयत्न करावे लागतात.
 माधुरी खर्डेनवीस : सैनिक *अहर्निश* सीमे वर पहारा देत असतो,  तेव्हांच आपण सुखाने निर्भय झोप घेतो.
रवींद्र भालेराव : जन्मापासून थेट मरणा पर्यंत माणसाचे अहर्निश श्वास चालतात.
अलकनंदा साने: जगणं आता दिवसेनुदिवस कठीण होत चाललं आहे. आपल्या अस्तित्वासाठी माणसाला *अहर्निश* झगडावे लागते .
 रंजना मराठे  : सैनिक देश सेवे करीता  अहर्निश जागृत असतात
 रवींद्र भालेराव : अहर्निश ईश स्मरण
                       मोक्षप्राप्तीचे असे साधन.
 सुषमा ठाकूर : देशाची अहर्निश सेवा करणाऱ्या सैनिकांना अभिवादन ...
 नयना आरती कानिटकर : अहर्निश विचार मंथन ही लेखन को प्रवृत्त करता हैं।
 अलका फणसे : अहर्निश सतत प्रयास, हाच ध्येय प्राप्तीचा केवळ मार्ग.
वैजयंती दाते : मनात अहर्निश चालणाऱ्या विचारप्रवाहाला बांध घालायसाठी 'ध्यान' हा उत्तम उपाय आहे.
 दीपक देशपांडे : " आई "....
                       *अहर्निश* तुझे जुझणे ..
                        निस्वार्थ सर्वांसाठी तुझे झटणे ...
निशिकांत कोचकर : अहर्निश सेवा करनेवाले को ही मेवा मिलता है।
अपर्णा पाटील  : तू तुझ्या केवळ अहर्निश प्रयत्नांनीच यशाची पायरी सहज चढू शकशील.
पुरूषोत्तम सप्रे : बायकांना अहर्निश बोलायची सवय असते ..!   हबा.
रश्मि लोणकर: संत मंडळींने देवाची अहर्निश सेवा करून देवत्व प्राप्त करून घैतले 

०३/०८/२०१८ 

अलका फणसे : आजचा शब्द  कांडर = कळ, वेदना
अलकनंदा साने: काम लहान असो , मोठं असो, ते सिद्धीस नेण्यासाठी *कांडर* सोसणं अपरिहार्य असतं.
सुरेश कुलकर्णी : येता *कांडर अंगासी,
                       धाव घेतो वेगेसी,
                       जाता भेषज द्वारी,
                      *लेप*ने शमन होई सत्वरी
 अर्चना शेवडे : कांडर सोसल्यावर मग कविता जन्माला येते
 आशा वडनेरे  : आयुष्याच्या  बागेत काण्डारणे जितके  जास्त  तितकी त्याची बाग  फळा फुलांनी
बहरलेली  असेल
सुषमा अवधूत  : ईमानदार लोकांना जास्त *कांडर* सोसावी लागते
मंदा गंधे  : स्वातंत्र्य मिळवण्यासाठी किती देशप्रेमींनी आयुष्यभर कांडर सोसले,त्यांना प्रणाम.     -मंदा गंधे
शांता लागू  : कांडराचे दु:ख मजला
                  रोज काही शिकविते 
                 कांडारल्या विना भूमीही
                 कधी न काही पिकविते ll
 मिलिंद खटावकर : प्रत्येकाला *कांडर* सोसावे लागते यशस्वी होण्यासाठी ,स्त्री असो पुरूष असो
 अलकनंदा साने: दिलेला शब्द कांडर आहे आणि तो नाम आहे . कांडारणे हा वेगळ्या अर्थाचा शब्द आणि क्रियापद आहे.
 अलकनंदा साने: ईमानदार हिन्दी , मराठीत प्रामाणिक
 जया गाडगे  : टाकीचे घाव सोसल्याशिवाय देवपण नाही आणि प्रसुतीचे *कांडर* सोसल्याशिवाय आईपण.
 रेखा मिरजकर  : लाडक्या लेकीची सासरी पाठवणी करताना आईबापाच्या ह्दयातली कांडर ते कशी   सोसतात    ते त्यानाच  माहित,
 माधुरी खर्डेनवीस : *कांडर* सोसुनी आई 
                            बाळास जन्म देते,
                            कांडारते मनी कवीच्या ,
                            कविता प्रसूत होते
सुषमा ठाकूर: खरे मोठेपण प्राप्त होण्यासाठी कांडर सोसणे जरुरी आहे.
ऋचा कर्पे  : कांडर सोसुनच सुख मिळतं.
दीपक देशपांडे : किती तीव्र असणार रे तुझ्या * कळ -- कांडर *
                      आण  तर जरा जन्माला एक जीव तुझ्या पोटी......
रवींद्र भालेराव  : स्वातंत्र्यवीर सावरकरांनी अंदमानच्या तुरुंगात प्रचंड कांडर सोसल्या.   
रवींद्र भालेराव : यशस्वी होणे सोपे नसते
                      सोसाव्या लागतात कांडर
                      प्रत्येक काळ्या ढगाला
                      असते एक रुपेरी झालर.
धनश्री देसाई : जसं जन्माला येण्यासाठीही 
                    झगडावं लागतं जीवाला
                    कांडर सोसावे लागतात
                    सृष्टीच्या मांडीत नांदायला
अरूणा ख़रगोणकर : युद्ध -बंदींना  काय -काय  कांडर सोसावे  लागतात,
                           आपण  कल्पना  ही करू शकत नाहीं
१०/०८/२०१८ 
आशा वडनेरे : नमस्कार,आजचा शब्द  आहे-चवड=ढेर ,गड्डी
आभा निवसरकर : माझा शब्द मुद्गर ---- लकड़ी का हथौड़ा   
मिलिंद खटावकर  :  वय पण मोठे होते आणि नोटांची चवड लई साठवून ठेवली होती पण मन मात्र लहान होतं.
धनश्री देसाई : गप्पा मारायला बसले पण वेळ कमी कारण आठवणींची चवड खूप मोठी होती.
मंदा गंधे  : पावसाळी हवा,निवांत वेळ,आवडत्या पुस्तकांची चवड ,वा!दिवस कसा छान जाईल ना!   -मंदा गंधे.
अभय आरोंदेकर : नोटबंदी होऊन जवळ जवळ 1.5 वर्ष झाले पण अजुन सुद्धा लोकान् कडून जुन्या 500 आणि 1000 च्या  नोटानची चवड पकडली गेली आहे
जया गाडगे : चपात्यांच्या *चवडीतून* चार चपात्या चोरल्याने चंदूस, चारुने चाबकाने चांगलेच चोपले.
ऋचा कर्पे : *मुद्गराचे* ठोके देवून लोहार आकार देत गेला आणि लवकरच भांड्यांची *चवड* तयार झाली.
 अलका फणसे : आयुष्य तुम्हाला मुद्गरासम घाव घालत असतं पण आम्हीच परिभाषलेल्या सुख दु:खाच्या चावडीतून नेमकं काय उचलायचं हे आमच्यावर निर्भर असतं.
अलकनंदा साने : चावडी नाही, चवडी . दोन्ही शब्दांचे अर्थ अगदी वेगळे आहेत.
 शांता लागू : सुमनने थापून वाळवलेल्या शेण्यांची चवड करुन कोप-यात नीट लावून ठेवली.
ती घरात शिरताच तिने पाहिलं तर सुभान्या कामावर लागणारा मुद्गल घरीच विसरुन कामाला गेला होता.
 शांता लागू : *मुद्गर*
 अलकनंदा साने : आता मजा येईल. शांताताईंनी पण पहिले मुग्दल टाईप केले. मुग्दल आणि मुग्दर दोन वेगळे शब्द आहेत. चावडी आणि मुग्दल हे शब्द सुद्धा आता वापरात नाही, अनवट आहेत. पण चुकीने कां होईना दोन आणखी शब्दांची भर पडली.
अभय आरोंदेकर  : लहानपणी व्यायाम शाळेत वेगवेगळ्या आकारा च्या मुग्दर असायच्या मी त्या मुग्दरा च्या चवड मधून आपल्या ला झेपेल असी मुग्दर उचलून अभ्यास करायचो.
 अलका फणसे : अभयजी ते मुद्गल ना?
 वसुधा गाडगीळ  : *मुग्दराने* ठोकून - ठोकून त्या कलाकाराने सुंदर काष्ठप्रतिमा तयार केली.
 वसुधा गाडगीळ  : काल डबे आवरताना मिश्रडाळींच्या डब्यात १०० रुपयाची *चवड* सापडली.
 अलकनंदा साने : ते मुग्दर आणि मुग्दल किंवा मग्दल एक मिठाई
 जया गाडगे   आपल्याच बांधवांवर प्रहार करावे लागण्याचे मुद्गराचे दुःख मुद्गरच जाणे.
 शांता लागू   : हा हा! अलकनंदाताई मला तर मुग्दल माहिती नव्हतं मुग्दरच लिहायचे होते. पण टायपिंग मिस्टेक झाली.
अपर्णा पाटील  : श्रीमंताच्या घरात कपड्यांची चवड मात्र गरीब लत्तरावर भागवतो.
अपर्णा पाटील  : त्याने सोन्याच्या कड्यांमधे मुग्दराने ठोके देऊन लाख भरली आता कडे घालायला सहज झाले. असे ठोके जीवनातही गरजेचे आहे जीवन सहज होण्यासाठी!
रामचंद्र किल्लेदार : मुग्दराने व्यायाम केल्याने बाह्याच्या मासोळया बनवल्या जात
 रवींद्र भालेराव  : चौऱ्यांशी साली भोपाळला विषारी वायुच्या पसरणामुळे बळी गेलेल्यांच्या प्रेतांची चवड आठवली की अजूनपण अंगावर शहारे येतात.
 रवींद्र भालेराव  : आजकाल भिंतींवर खिळे ठोकायला मुग्दरच्या जागी मशीनचा वापर करतात.
 धनश्री देसाई  : रस्त्याच्या कडेला पडलेला मुद्गर बाजूला सरकवताना अचानक हाताला लागला , आणि  तोडलेले भली मोठीे झाडं  आणि त्यांना झाल्या असलेल्या वेदना समजल्या
 रवींद्र भालेराव   : घर बदलताना काही मजूर लाकडी खोक्यांमधे सामान भरून त्या खोक्यांना मुग्दराने खिळे ठोकून बंद करत होते तर काही मजूर त्या खोक्यांचे चवड तयार करत होते.
 रेखा मिरजकर : ढीगभर  धुवून वाळविलेल्या कपड्यांची चवड तिने परटाला ईस्त्री करण्यासाठी दिली.
रेखा मिरजकर : ती लिलाच्या घरी पोचली, तेव्हा लिलाचा नवरा मुग्दराने फळीवर खिळा ठोकीत पडवीत बसलेला तिने  पाहिला.
रंजना मराठे : मनीष व्यायाम शाळेत रोज मुद्गल चालवतो
प्रेस मधे वर्तमान पत्राची चवत करुन ठेवली जाते
 माधुरी खर्डेनवीस  : दगडा वरती दगड ठेवून
                           *चवड* करा तयार रे,
                            क्षणात *मुद्गर* हाती घेऊन
                             येईल मूर्तिकार रे
 निशा देशपांडे  : अडथळ्यांची चवड कितीही मोठी ़असो, प्रयत्नांची चवडवाढवून त्यांच्या पलिकडे जाणं कठीण नसते.
 निशा देशपांडे   : मुग्धाला व्यायामशाळेत मुग्दर फिरविणे छानच जमते पण स्वयंपाकघरात लाटण्यावर मात्र तिचा हात जमतस नाही.
 राधिका इंगळे : आज शाळेत हिरव्या रंगाची साडी नेसायचे ठरले होते पण साड्यांच्या चवडींनमधून हवी ती सापडत नव्हती. 
कसेरा बाजारात तो तांबे पितळी भांड्यांवर मुग्दराचे घाव घालून पडलेले ठोके नीट करतो.
 दीपक देशपांडे  : चवड प्रेमाची असो  .. किंव्वा ,
                        चवड अर्थाची ...
                        अर्थ असो जिथे --  रमतं मन तिथे

                      मुद्गरचे सोसता घाव,
                      येते मोठेपण,
२४/०८/२०१८ 
 ऋचा कर्पे : माझा शब्द आहे  अदट म्हणजे दृढ़, अजिंक्य.
अभय आरोंदेकर    : कर्ण ला जर परशुरामाचा श्राप नसता तर तो महाभारताच्या युद्धा मधे अदट राहिला असता
विवेक सावरीकर : प्रत्येक माणसाला पुढे येण्यासाठी *अदट* पराक्रम करणे भाग आहे.
सुरेश कुलकर्णी : विपरीत परिस्थितित 
                      जे राहतात *अदट*
                     कर्मयोगी माणसाची,
                     हीच पहिली *आहट*
 आभा निवसरकर: वजन कमी करण्यासाठी अदट प्रयत्न करत रहावे... 
 पुरूषोत्तम सप्रे   : अदट मेहनतीने वजन कमी होते.....! ह. बा
वसुधा गाडगीळ: अदट प्रयत्नानेचं माणसाचे स्वप्न साकार होतात.
 आशा वडनेरे   : निशा  जन्मांध असूनही  केवळ आपल्या अद्ट स्वभावामुळे  बी. ए. विशेषांकासहित उत्तिर्ण  
झाली. 
 जया गाडगे: *अदट* संकल्प आणि अतूट शौर्याच्या जोरावर, मराठ्यांनी अटकेपार झेंडे रोवले.
 अलकनंदा साने  : सर्वांची *अदट* इच्छा आणि अनलस सहकार्यामुळेच आपल्या समूहाचा दर्जा टिकून आहे.
 मिलिंद खटावकर  : आयुष्यात बऱ्याच गोष्टी घडतात ज्यामुळे नेराश्य येतं पण *अदट* इच्छा असली तर नेराश्य दूर होते
शांता लागू: स्वत:च्या सामर्थ्यावर *अदट* श्रध्दा असल्याशिवाय सिमेवरच्या सैन्याला शत्रुवर विजय मिळवता येत नाही.
 रेखा मिरजकर: *अदट*  संकल्प करा आणि पुढे चला.यश नक्कीच तुमच्या मागे धावत येईल.
निशिकांत कोचकर  : अदट राहणे हेच लक्ष्य बाळगून खेळतो आपला क्रिकेटर अजिंक्य रहाणे.
 धनश्री देसाई  : शिवबा तुझे हे अदट जीवन
                      तुला माझा साष्टांग नमन
 रवींद्र भालेराव  : कोठल्याही गोलंदाजाची
                       स्थिती होत असे विकट
                      जेव्हा फलंदाजी करायचा
                       भारताचा सचिन अदट.
 मंदा गंधे   : अदट,अथक प्रयत्न हीच यशाची गुरुकिल्ली आहे.
जयंत तेलंग  : वजन वाढल्याने अदट मेहनत होत नाही
 अलकनंदा साने: अदट मेहनत केली तर वजन कमी होण्यास मदत होते . 
 अलकनंदा साने: गमतीचा भाग सोडला तर  तसा हा शब्द प्रयोग चुकीचा आहे. कारण अदट चा अर्थ दृढ , अजिंक्य असा आहे. मेहनत दृढ किंवा अजिंक्य नसते .उदय ढोली    अदट संकल्प असला तर  विजय अवश्य होणार।
 दीपक देशपांडे : अदट ईहा अदट ( अजिंक्य ) राहण्याचे एक मूलमंत्र ..
 रंजना मराठे  : अदट संकल्पाने कुठले ही काम  पूर्ण  होऊ शकते
 शुभा देशपांडे  : मारूति हा अदट आहे.
 शुभा देशपांडे  : बाजीराव पेशवे युध्दात अदट असूनही,स्वतःच्या जीवनांत अदट राहिले नाही .
  स्वाति श्रोत्री  : सीमेवर सैनिक अदट शक्ति ने प्रकृति शी लढ़ा घेतात.
  राधिका इंगळे  : बाजीराव पेशवे आपल्या अदट इच्छा शक्तीनेच चाळीस युद्धात अदट ठरले.
  माधुरी खर्डेनवीस  : असावे *अदट* निश्चयासी,
                            मिळेल  सुपंथ राघवासी।।
 निशा देशपांडे    : सर्व महान व्यक्तीमत्व अदट इच्छाशक्ती असल्यानं लक्ष्यापर्यंत पोचत असतात.
अलकनंदा साने: ईहा म्हणजे ?
दीपक देशपांडे  : ईहा -- म्हणजे इच्छा .
अलकनंदा साने: अभयजी , मराठीत विभक्ती प्रत्यय शब्दाला जोडून लिहिला जातो . कर्णाला , युद्धामध्ये, 
सुरेशजी, द्विपदी चांगली झाली ( चार ओळीत असली तरी ती द्विपदीच आहे), पण शेवटी आहट बरा नाही वाटला.  परिस्थितित/ परिस्थितीत 
मिलिंद , नेराश्य / नैराश्य
रंजनाताई , कुठलेही 
स्वातीजी , शक्तीने , प्रकृतीशी 
मराठीत ढ़ नाही , ढ असतो . लढा 
आज प्रतिसाद छान मिळाला, सर्वांचे आभार.
अलकनंदा साने: हा तर हिन्दी शब्द आहे. असो . एक नवीन शब्द कळला
दीपक देशपांडे : मराठी शब्द आहे हा शब्दकोष
 अलकनंदा साने  : अच्छा , हिन्दीत अर्थ पाहिला , म्हणून मला वाटले हिन्दी शब्द आहे.

३१/०८/२०१८ 
  जया गाडगे:  " मगदूर " = गुणवत्ता , क्षमता 

जयंत तेलंग :  *"हिरमोड = अपेक्षाभंग"*


 मिलिंद खटावकर     : *मगदूर* प्रयत्न असला की इच्छेचा *हिरमोड* होत नाही

विवेक सावरीकर : लिहण्याचा मगदूर नाही तरी मनाचा हिरमोड नको,म्हणून लिहत असतो.

 अलका फणसे  : स्वत:च्या स्वपनांची नी स्वत:पासून स्वत: च्या अपेक्षांची हिरमोड होऊ नाही यासाठी कर्तृत्वाची मगदूरी(?) गरजेची आहे.

 रेखा मिरजकर: पूर्ण *मगदूर* पणाला लाऊन सिकंदरने पोरसवर आक्रमण केले खरे ,पण त्याचा हिरमोड           झाला.
 अलकनंदा साने: नको तिथे *मगदूरी* दाखविली तर शेवटी *हिरमोड* होतोच .
 निशिकांत कोचकर मगदूरी होती म्हणून तर त्याला इतक्या मोठ्या पदावर पोहोचता आले, पण एकंदरीत वातावरण पाहून त्याचा हिरमोड झाला
 रवींद्र भालेराव : रुग्णाला वाचवायला शहराच्या  उत्तम चिकित्सकांनी आपले मगदूर पणाला लाऊन देखील जेव्हा त्याचा जीव वाचवता नाही आला, रुग्णाच्या घरच्यांचा हिरमोड झाला.
 शांता लागू  : आपल्या मगदूराप्रमाणे आपण प्रयत्न करीत रहायचे.पण समजा यश नाही मिळाले तर हिरमोड मात्र करुन घेऊ नये.
 स्वाति श्रोत्री : मगदूरी ने कोणते ही कार्य केले तर कार्य पूर्ण होते व हिरमोड होत नाही
 आशा वडनेरे  : सिन्धु  कडून एशियन गेम मधे गोल्ड  मिळावे अशी  आशा  होती।  मगदूर प्रयत्न करून ही
मंदा गंधे  : आपल्या मगदूराप्रमाणे कार्य निवडले तर नंतर हिरमोड होत नाही,यश मिळते. - मंदा गंधे.
निशा देशपांडे   हिरमोड झाल्यावरहि मनाचे तोल जपण्याचे  मगदूर असायला पाहिजे.
ऋचा कर्पे : ताईने लहान भावास समजाविले, "आई बाबांची *हिरमोड* करु नकोस, *मगदूर* पणाला लावून अभ्यास कर."
जया गाडगे : कष्टाने काढलेल्या पिकाला, योग्य *मगदूर* न मिळाल्याने, झालेला *हिरमोड*, हे शेतकऱ्यांच्या आत्महत्येचे प्रमुख कारण आहे.
सुषमा ठाकूर  : हृदयातील तीव्र भावना मनाचा मगदूर एकवटून कागदावर उतरवल्या की मनाचा हिरमोड न होता एक प्रकारची शांती मिळते.
अपर्णा पाटील  सर्वप्रथम तू आपला मगदूर ओळख अन्यथा हिरमोड व्हायला वेळ लागणार नाही.
अरूणा ख़रगोणकर  आपल्या मगदूरा  प्रमाणे  योजना  असल्या तर मनाचा  हिरमोड होत नाहीं.
राधिका इंगळे    : मगदूरीची केली पराकाष्ठा 
                        स्वराज्या पायी ठेवत निष्ठा 
                        आप्तस्वकीयांचा षडयंत्र
                        पित्याचा नच केला हिरमोड.
०७/०९/२०१८ 
 दीपक देशपांडे :  शक्कल " -- ( स्त्री  ) . युक्ती , उपाय ,सुझ 
  माझा शब्दाचा वाक्यात प्रयोग .." यावी सर्वांना चांगली  अक्कल ..
                                                लढवावी लागेल काही शक्कल ".....

धनश्री देसाई : "अवर्षण"- दुष्काळ
माझ्या शब्दाचा प्रयोग आहे....
पाण्याची किंमत तेव्हा कळते जेव्हा अवर्षण तोंडाशी येते.
सुषमा अवधूत  : अशी काही शक्कल काढा हो,कि देश भ्रष्टाचार मुक्त होऊन जाईल
विवेक सावरीकर  भ्रष्टाचार संपविण्यासाठी कितीही शक्कल लढवली तरी हाती शून्यच लागतो.
जया गाडगे : राधिकाने *शक्कल* लावून, अद्दल घडवून, शनायाला अस्सा धडा शिकविला की ती मालिका सोडून पळाली.
विवेक सावरीकर : सतत अवर्षणाने यंदा देशातील पश्चिमी भागाचे शेतकरी हतबल झालेय
मिलिंद खटावकर   : *अवषर्ण* येणारच आम्ही हिरवळ संपवत आहे तरी ही *शक्कल* शोधून निराकरण करता येईल
निशिकांत कोचकर   : वैज्ञानिकांनी अशी काही शक्कल लढविणे गरजेचे आहे की अवर्षणाने दुष्काळग्रस्त भागात चांगला पाणी पुरवठा होऊ शकेल.
मंदा गंधे   : कुठे अतिवर्षा तर कुठे अवर्षण ,निसर्गाची किती विविध रुपं असतात!
कठीण प्रसंगात शक्कल लढवून मार्ग काढावा लागतो,तरच निभाव लागतो.
सुरेश कुलकर्णी ठिबक  सिंचाई हाच अवषर्ण दूर करण्याचा उपाय आहे आणि ठीबक सिंचाई शोधून काढली जैन इरिगेशन समुहाने ।
सुषमा अवधूत : सध्याच्या मशिनी युगात माणुसकीचे *अवर्षण* तीव्रतेने जाणवते
दीपक देशपांडे : असणार संवेदनांचा " अवर्षण ".. 
                      कुठे मग जीवनाचा आकर्षण ..
ऋचा कर्पे : 1. शिवाजीने *शक्कल* लढवून यवनांचा पराभव केला.
                2. *अवर्षणामुळे* शेतक-यांना पिकाची काळजी लागली आहे.
आशा वडनेरे  : अवर्षणा विरुद्ध  संघटित होऊन
                     घडवूं या एक नवे स्वराज्य 
                      जनामनांत शक्कल लढवून
                      बनवूं या समग्र हिंदुराज्य.
सुरेश कुलकर्णी : पेट्रोल चे भाव भिडले गगनाला,
                       शक्कल लावा, वैकल्पिक ईंधन शोधायला ।
जया गाडगे  : जंगलांच्या ऱ्हासामुळे *अवर्षणाच्या* संकटास सामोरे जावे लागत आहे.
निशा देशपांडे  : तरुणपीढीचे सतत पश्चिमी संस्कृतीकडे वलणे थांबविण्याची शक्कल केली नाहीं,तर संस्कारी तरुणांचेअवर्षण समोर येतीलः
अलकनंदा साने: कितीही *शक्कल* लढविली तरी समूहात सक्रिय सदस्यांचं *अवर्षण* जाणवतं.
रवींद्र भालेराव   : देशासाठी हवी असलेल्या निष्ठेचे अवर्षण व पैशाचे अत्याधिक आकर्षण, यामुळे देशाची वेगाने होणारी अधोगती बघता, आता काय शक्कल लढवावी, हे कळेनासं झालय.
अभय आरोंदेकर  : झाड़े लावा, झाड़े जगवा आणि नाही तर*अवर्षण*झेलायला तैयार रहा
दीपक देशपांडे : जरी असो सक्रिय सदस्यांचे अवर्षण ..
                     कमी नाही होणार समूहाचे आकर्षण
 स्वरांगी साने  : कितीही *शक्कल* लढविली तरी  समूहात सक्रिय सदस्यांचं *अवर्षण* जाणवत तर कारणीभूत मौसम आहे ...मौसम पानीदार नहीं है ...
 दीपक देशपांडे : लाओ कुछ शक्कल के मौसम पानीदार  बने.....
 आभा निवसरकर : मानसिक अवर्षणाला कुठली च शक्कल लागू पडत नाही
 रंजना मराठे  : अवर्षणा मुळे शेतकरी  काळजीत आहे  
                     पिकं वाचविण्या साठी ते शक्कल लढवित आहे
माधुरी खर्डेनवीस : कधी महापूर  कधी *अवर्षण*
                          निसर्ग शिकवी धडा
                          लावा अक्कल, लढवा *शक्कल*
                          मार्ग काढा त्वरा।
 शुभा देशपांडे  : मनुष्याच्या जीवनांत अवर्षण यावयास हावे त्याशिवाय तो शक्कल भिडवु शकणार नाही.
 वसुधा गाडगीळ  *अवर्षण* आणि इतर निसर्ग प्रकोप करिता आता मात्र माणसाने *शक्कल*लढविणे गरजेचं आहे.
 जयंत तेलंग *शक्कल* लावून *अवर्षणा* ला पिटाळू शकतो
 रश्मि लोणकर: अवर्षणात सारीच लोक दुःखाकुल असतात पण शक्कल लढविली की मार्ग हा निघतोच निघतो
अरूणा ख़रगोणकर : मारुती ने सारेच  प्रश्न  सोडवितांना  शक्कल  लढविली  म्हणून  त्याला  "बुद्धिमतां वरिष्ठं "म्हणतात.
अरूणा ख़रगोणकर : अवर्षणा साठी पर्यावरण जपण्‌या कडे होणारे दुर्लक्ष जवाबदार आहे.
स्वाति श्रोत्री  सकाळ पासून शक्कल लावते की छान वाक्य बनवू ,पण शब्दा ना जणु अवकर्षण च झाले.
अलकनंदा साने: अनवट संपदा हा उपक्रम सुरु करण्या मागे उद्देश्य हा होता की जी शब्द संपदा, आपल्या वापरातून बाहेर गेली आहे किंवा जे शब्द खूप वेगळे, आपल्याला माहीतच नाही, ते  समोर आणायचे. आता असे वाटते की सुरुवातीला  अनवट ह्या शब्दाचा अर्थ सांगायला हवा होता की काय. पूर्वी चिन्मयने अटलजींच्या शोक अवधीत एक शब्द दिला होता तो किंवा आज जे शब्द दिले गेले आहेत ते अनवट ह्या परिभाषेत बसत नाही. ह्याचे कारण म्हणजे भरपूर आणि निर निराळ्या  वाचनाचे अवर्षण. फेसबुक किंवा व्हाट्स एप वर वाचायला भरपूर मिळते पण ते वाचणं, वाचन नसते. लाईक आणि कॉमेन्टचे  अतिवर्षणाकडेच तिथे सगळे लक्ष वेधले जाते.काही  अनवट शब्द  उदाहरणार्थ येथे देत आहे.

मन मोहतीर -- मनाचा मुहूर्त
 बालातप --  सकाळचे कोवळे ऊन
 निबरढोण -- अतिशय टणक
 तळाफाटा-- उधळपट्टी
 चाखोळे -- रिकामटेकड्या मंडळींचा जमाव
 घनवटणे--गर्दी करणे; दाटणे, जमणे
 मेमटा -- दिसण्यात साळसूद पण आतून दुष्ट
 लांझ्या -- आरोप, संबंध
 बावकुफ -- शहाणा
 तैख--आवेश, रागाचा झटका

आजच्या शब्द प्रयोगात बहुतेकांनी अवर्षण ह्या शब्दाला पावसाशी, पर्यावरणाशी जोडले आहे. दुष्काळ पैशाचा, ज्ञानाचा,बुद्धीचा, कलेचा, मेहनतीचा, अभ्यासू वृत्तीचा, सामाजिक जाणिवेचा  कशा कशाचाही असू शकतो.असो.
 स्वरांगी साने: सहमत
 जया गाडगे: अगदी सहमत ! अनवट म्हणजे लोप झालेले किंवा प्रचलनात नसलेले शब्द द्यायला हवेत. शक्कल, अवर्षण, अहर्निश असे शब्द नेहमी वाचनात येत असतात.

१४/०९/२०१८
  नयना आरती कानेटकर :  मराठी  शब्द--- *अपखडी*-==निंदा
  निशिकांत कोचकर  :   *मिहिका* == धुंद, कोहरा, दवबिंदू, ओस की बूँद

अलकनंदा साने: जे स्वतः काही करत नाही, तेच बहुधा इतरांच्या *अपखडीत* मग्न असतात.
 निशा देशपांडे : स्वत:ची अपखडी ऐकूनसुद्धा संयम ठेवणारी व्यक्ती क्वचितच सापडतात.
 सुरेश कुलकर्णी  : अगोदर ठरवून अपखडी करायची आणि मग मागुन क्षमा मागायची  याला काय अर्थ आहे ?
 दीपक देशपांडे : असलेच पाहिजे जवळ करणारे आपली अपखडी ..
                       असणार तेच खरे जीवनात पथदर्शक गडी ..
 स्वाति श्रोत्री : आपली अपखडी करणारे असलेच पाहिजे त्यानी जीवनात त्रास होत नाही
 वैजयंती दाते  जीवन, मानो मिहिका हो।
सुरेश कुलकर्णी : पावसाळ्यात पानावर मिहिका मोत्यांसारख्या दिसतात
मिलिंद खटावकर : कधी कधी *अपखडी* झाल्याने विचारातली *मिहिका* दूर होते.
अलकनंदा साने: हल्की-सी शाॅल ओढ़कर बगीचे में घूमते हुए *मिहिका* का स्पर्श, उसकी अनुभूति, उसे धीरे-धीरे पिघलता देखना ,  बहुत ही आल्हाददायी होता है ।
सुषमा अवधूत : खुप लोकांना दुस-याची *अपखडी* ऐकणे फार आवडते
थंडीच्या दिवसात सकाळी सकाळी समोरच्या बगीच्यात *मिहिका* असल्याने दुरचे दृश्य दिसत नाही ,तरी छान वाटते
अर्चना शेवडे  : अपखडी वाईट हे कळते तरीही हा अवगुण जाता जाईना आणि मिहिका दूर सारुन पैलतीरीची वाट कांही सापडेना
अलका फणसे : जर कोणी केली अपखडी
                     विचारपूर्वक अवगुण ओळखा
                      मनावर रोखून छडी
                     सारा स्वस्तुतिची मिहिका
 अरूणा ख़रगोणकर : दुस-याची अपखडी करू नये,असे आपले धर्मग्रंथ आणि संत  सांगतात.
 रेखा मिरजकर : *अपखडी* करणारे नेहमीच भेटावेत.आपली त्यामुळे  प्रगती होते.
 रेखा मिरजकर : माणसाच्या आयुष्यात सुखाचे क्षण पहाटेच्या 
*मिहिका* सारखे येतात.चमकत चमकत कधी नाहिसे होतात ते कळतच नाही.
 स्वाति श्रोत्री : जीवनात चांगले व्यक्ति मिहिका सारखे चमकत येतात अन आठवण म्हणून हृदययात जमतात
 अभय आरोंदेकर: ह्या दुनियेत सर्वात सरळ कार्य म्हणजे दुसऱ्याची *अपखडी*
 रवींद्र भालेराव : अबोल असल्याने शरदराव आतल्या गाठीचे आहेत अशी त्यांची अपखडी होत असे. पण प्रत्यक्षात त्यांना भेटल्यावर लक्षात आलं की ते सारासार विचार करून मोजक्या शब्दात आपलं मत व्यक्त करतात. शरदरावांची भेट झाली व माझ्या मनातली त्यांच्या बद्धल पसरलेली मिहिका विरून गेली.
मंदा गंधे : अपखडीचे काटे बाजूला सारून प्रशंसेच्या मिहिकांनी सर्वांना सुखवू या!       -मंदा गंधे.
सुषमा ठाकूर : प्रेमळ व्यक्ति नेहमी मिहिकाप्रमाणे शीतलता देत रहातात...तर अपखडी करणाऱ्या व्यक्ती मनाला टोचून घायाळ करत रहातात. 
रंजना मराठे  : शेजारी असावे अपखडीचे घर 
                     त्याने निर्मळ होई मन
                      मिहिकेनेमन होई प्रसन्न
 दीपक देशपांडे : डोळे मिटूनी करते श्रुंगार कळीचा * मिहिका *
                       डोळे उघडूनी निरखते लालित्य निसर्गाचा * सारिका *
  माधुरी खर्डेनवीस: *अपखडी* सारखे आनन्द  नसे या जगात
                          निंदा रसात मन आकंठ  कां बुडतात
                          क्षणिक आनन्द जरी **मिहिका* परी हे
                          उणें दुणे काढणे  कां   आवडे तरी हे
 निशिकांत कोचकर : अपखडीमुळे जीवनात मिहिका पसरली
                             मिहिकाच्या स्पर्श अनुभूतीने मिहिका सावरली.


२१/०९/२०१८ 
 मंदा गंधे  : मांदियाळी. मांदियाळी म्हणजे समूह,समुदाय. 
माधुरी खर्डेनवीस : *सानिका* सानिका म्हणजे  -  बासरी वंशी,मुरली
भारती पंडित :  क्षौर- मुंडन
मिलिंद खटावकर  : *हंडवंगी* ~ दुराग्रही, हट्टी 
सुरेश  कुलकर्णी : सध्याच्या युगात काम न करणाऱ्या, मीच खरा असे सांगणाऱ्या लोकांची मांदियाळी वाढतच चालली आहे ।
सुरेश कुलकर्णी  : असाल जर एकटे,तेंव्हा सानिका गुणगुणली,
                       प्रसन्न होइलच बघा,स्वरांची मांदियाळी 
 वैजयंती दाते: नातेवाईकांच्या *मांदियाळीत*चि. सोहमचा *क्षौर*सोहळा पार पडत असताना *सानिकेचे*मधुर स्वर मंगल वातावरण निर्मित करत होते.
 अर्चना शेवडे : तेजसची सानिका इतकी मधुर वाजली की सर्व श्रोते मंत्रमुग्ध झाले
अर्चना शेवडे : फक्त क्षौरकर्म करुन ब्राह्मण म्हणवता येत नाही इतर कर्मपण ब्राह्मणाला शोभतील अशीच करावी
सुरेश कुलकर्णी  : क्षौर करण्याच्या बाबतीत लहान मुले हंडवंगी असतात । नापिक अगदी कंटाळून जातो तेंव्हा ।
सुषमा ठाकूर : कंसासारख्या हडवंगी मामाला यमसदनी पाठवणाऱ्या कृष्णाच्या सानिकेचा सूर गोकुळात घुमला की राधा, रुख्मिणी, सत्यभामा आणि इतर  गोपिकांच्या  मांदियाळी बरोबरच मीरेच्या दुःखाचेही  क्षौर होऊन आनंदाची भरती मनात यायची.
सुरेश कुलकर्णी : नापिक च्या ऐवजी नापित शब्द वाचावा हे निवेदन ।
 रेखा मिरजकर : संतांच्या मांदियाळीत पंढरपूरला वारीला जाणे हा दुग्धशर्करा योगच.
रेखा मिरजकर : सानिकेचे घुमता सूर
                       विसरल्या गोपी घरदार.
मंदा गंधे  ऐकून सूर सानिकेचे
              व्याकुळ चित्त राधिकेचे 
               हंडवंगी लोक मोडता घालून चांगल्या कामाचा विचका करतात.
               तिरुपतीला कित्येक भक्त क्षौर करून नवस फेडतात.
               मायमवशीच्या साहित्यप्रेमींच्या मांदियाळीत मन रमून जाते.
 रेखा मिरजकर : पूर्वी पति निधनानंतर स्त्री चे क्षौर केले जायचे ,तेंव्हा तिला होणा-या यातना तिच सहन करू जाणे.
 रेखा मिरजकर : नाती तुटतात ती हडवंगी स्वभावाने.
अलका फणसे : प्रत्येकाने *अनलस* होऊन विचारांच्या *मांदियाळीतून* *हंडवंगी* विचारांना शोधून त्यांचे *क्षौर* करावे, मग बघा कशे पावित्र्याची *सानिका* अंतर्मनात वाजून त्याचे स्वर कसे बाह्य जगात तुमची *मगदूरी* वाढवतात, त्यासाठी तुम्हाला *शक्कल* लढवायची गरज पडत नाही.
 दीपक देशपांडे : मधुबन में *राधिका* नाचे रे ..
                      गिरधर की *सानिका * बाजे रे ..
 ऋचा कर्पे : 1 भक्त लोकांच्या *मांदियाळी*  देवदर्शनासाठी निघाली.
                 2 श्रीकृष्णाची *सानिका* वाजली आणि *हंडवंगी* मन थारावर आले.

                  3. *क्षौर* संस्कार हे सोळा संस्कारांपैकी एक.
 अलकनंदा साने: क्षौरचा अर्थ जरी मुंडन असला तरी 'जावळ काढणे' हा शुभ अर्थ नाही. एखाद्या घरी जेंव्हा दुखवटा असतो , तेंव्हा त्या घरातील स्त्री पुरूषांचे केस कापतात , त्याला क्षौर किंवा श्मश्रु म्हणतात.  स्त्रियांचे केस काढण्याची पद्धत तर बाद झाली आहे , शिवाय आता बरेच पुरूष देखील ह्या प्रथेचं पालन करत नाहीत.
 अलकनंदा साने: म्हणून हा सोळा संस्कारांपैकी एक नाही.
 शांता लागू   हडवंग्यासारखे नाही केले क्षौर तरी
                 भावनांची मांदियाळी दाटून येतेच ना ?
                 कृष्ण गेला दूर तरिही
                 घनतमी सानिकेची साद येतेच ना?
निशिकांत कोचकर : हंडवांगी मांदियाळी मुळे सघन चिकित्सा वाहन अडकले व गंभीर रुग्ण मरण पावला. रुग्णाच्या मुलाचं क्षौ र कर्म झाले, सानिका एकिकडे रड़त होती।
जया गाडगे: सामूहिक *क्षौर* करुन, मराठा आंदोलनास समर्थन देणारी, *हंडवंगी* जनांची *मांदियाळी*, समजूतीच्या शब्द *सानिकेस* जुमानत नसल्याने, पोलिसांना हलका लाठीचार्ज करावा लागला.
 माधुरी खर्डेनवीस : गोकुळीं ऐकता तान सानिकेची
                           धावली मांदियाळी* गोपिकांची।

                           गोकुळीं ऐकता तान सानिकेची
                            झोप उडाली *हवडँगी* कंसाची।

                            गोकुळीं ऐकता तान सानिकेची
                            *क्षौर कर्म दुष्टांचे जाहले निश्चिती।
अपर्णा पाटील : आमची मांदियाळी
                      असे आमुची माय मावशी
                      घेऊनी सानिका हाती त्यात
                      रंग भरते अलकनंदा मावशी!!!

२८/०९/२०१८

रवींद्र भालेराव  --- "साद्यंत"अर्थ--- संपूर्ण, शुरू से लेकर आखिर तक.
 रंजना मराठे ------ "कुरवंडी" म्हणजे ओवाळणे
 रश्मि लोणकर------वस्त्र गोपन म्हणजे फाटकी वस्त्र शिवणे
रश्मि वागळे ------- हिंदी शब्द *अकिंचन* शब्दशः अर्थ आहे दरिद्र कंगाल दिवालिया .पण आपण भाव घेउन  नगण्य ,मामूली,महत्वहीन किंवा अत्यंत साधारण ,अपरिग्रही   आदि अर्थ लावू शकतो .


 सुरेश कुलकर्णी : आमचे आजोबा फारच कड़क होते.  श्री महालक्ष्मी जेवनावळ साठी ते 16 भाज्या शोधुन आणत आणि गुरुजीना लागणार पूजा साहित्य अगदी साद्यन्त हवे असा अट्टहास असायचा त्यांचा. 
रवींद्र भालेराव: रोचक प्रस्तुतिकरण के कारण मैं सितार वादन के कार्यक्रम में  साद्यंत बैठा रहा.
अलकनंदा साने: हा प्रयोग चुकीचा आहे. साद्यंत अमूर्तासाठी वापरला जातो, मूर्तासाठी नाही. उदाहरणार्थ - साद्यंत तयारी , अभ्यास , तयार होणे(मेकअप, विश्लेषण वगैरे. कार्यक्रम साद्यंत असू शकतो , श्रोता नाही.
रवींद्र भालेराव: असं होय! परत प्रयत्न करतो.
अलका फणसे: सुविचारे वागावे जीवनात "साद्यंत"  
                     नाही तर अंती उरेल फक्त खंत                               
 रंजना मराठे       जसं वारकरी पांडुरंगाला कुरवंडी करुन माघारी फिरतात
सुरेश कुलकर्णी   : घेता दर्शन निर्गुण रूपाचे,
                        निघालो आमुच्या घरी,
                       काढून कुरवंडी, विनवले,
                       प्रभु, परत बोलवा माघारी
अलकनंदा साने: काढून कुरवंडी म्हणजे ?
सुरेश कुलकर्णी: काकुळतीने विनवने अथवा दृष्ट काढणे 
 अलकनंदा साने: ओवाळणे आणि दृष्ट काढणे दोन वेगळ्या क्रिया आहेत. 
                        कुरवंडीचा अर्थ ओवाळणे आहे, विनवणी नाही.
अरूणा ख़रगोणकर: कांही  लोक  घडलेल्या  गोष्टीचे    साद्यंत  वर्णन  करण्यात पटाईत  असतात.
सुषमा अवधूत : देशभक्त देशासाठी आपल्या देहाची *कुरवंडी* करतात
२. त्या शिम्प्याला फक्त नवीन वस्त्र शिवणे आवडायचे, वस्त्र गोपन आवडत नसे
ऋचा कर्पे : *वस्त्र गोपनाचा*   *साद्यंत* अभ्यास करून तो गावी परतत होता. रस्त्यात त्याने बघितले की वारकरी *कुरवंडी* करत होते.  तो ही वारीत सामिल झाला..
 रवींद्र भालेराव : सितार वादक की साद्यंत तैयारी के कारण प्रस्तुतीकरण मन को भा गया.
अलकनंदा साने: बढ़िया. बरोबर
सुषमा अवधूत: देवा माझ्या जीवनाच्या *साद्यंत* माझ्याकडून कोणीही दुखावले जाणार नाही असा मला आशिर्वाद द्यावा
रवींद्र भालेराव: आजकाल तरूण पिढीला फाटक्या जीनस् घातलेल्या पाहून वस्त्र गोपन करणाऱ्यांचा पत्ता त्यांना सांगावा असं  वाटतं.
 रवींद्र भालेराव: युद्धावरून सुखरूप परतलेल्या सैनिकाला गावातील बायका कुरवंडी करत होत्या.
अरूणा ख़रगोणकर: शिवाजी पहिली लढाई जिंकून  घरी आले तेव्हां जीजाबाईंनी दारावरच त्यांची कुरवंडी  केली.
 रश्मि लोणकर: १. काही गुरूजी लवकर पूजा सांगून मोकळे होतात पण आमचे गरूजी साद्यंत पूजा सांगून मनाला आनंद देतात
२. वारकरी चंद्रभागे मध्ये स्नान करून कुरवंड्या ओवाळून चंद्रभागेत सोडून देतात
 ३. काही लोक वस्त्र गोपन करून त्याच्या दुलया सुध्दा बनवतात
अरूणा ख़रगोणकर: आजकाल  मुलांच्‌या  कपाटा मध्ये  इतके कपडे असतात की त्यांना  वस्त्र  गोपनाची सहसा गरज पडत नाहीं.
अलका फणसे: रश्मीजी कुरवंडी म्हणजेच ओवाळणे  ना??
मग दूसर्-या वाक्य प्रयोगात काही बदल  हवा का??
शांता लागू : पारंपरिक जोगव्यामधे 
"त्रिविध तापाची करीन कुरवंडी" किंवा
"मनोविकार करीन कुरवंडी" 
अशा ओळी आढळतात.
त्यात वाईट गोष्टींचा त्याग अभिप्रेत असावा का? काय वाटते?
अलका फणसे:ओके, बहुतेक ह्याचा अर्थ आपण जसे पोळी ओवाळून टाकतो तसं कुरवंडी म्हणजे इथं क्रियापद नसून संज्ञा पद आहे का?
अरूणा ख़रगोणकर: अकिंचन  सुदाम्‌याला  गळा भेट देऊन  कृष्णाने मैत्रीचे  अद्वितीय  उदाहरण जगा समोर ठेवले.
 मंदा गंधे  : सीमेवरील सैनिकांच्या शौर्यावरून कुरवंडी करायला हवी,तोच त्यांचा खरा सन्मान!
अकिंचन अवस्थेतही प्रामाणिक रहाणे,हीच खरी कसोटी असते.
ऐतिहासिक वास्तूंचे साद्यंत वर्णन ऐकण्यात आनंद असतो.
वस्रगोपनावर सध्या सुईधागा चित्रपट आला आहे,नवीनच विषय आहे. 
शांता लागू: १) न्यायाधीशांसमोर साक्षीदाराने घडलेल्या घटनेचा *साद्यंत* वृत्तांत कथन केला.
२) आंतरराष्ट्रीय क्रिडास्पर्धेत सुवर्ण पदक मिळवून आल्यावर गावाच्या वेशीवर *कुरवंडी* करुन नंतर त्याची मिरवणूक काढली.
३) ४)..  *वस्त्रगोपन* ही एक उपयुक्त कला असून तिला *अकिंचन*  कला समजणे योग्य नव्हे.
अपर्णा पाटील : बघ ती अकिंचन, बेसहारा, अनाथ मुलगी. सांंद्यत बघते मी तिला! वस्त्र गोपन करुन कसं बसं अंग झाकते. शेजारच्या निपुत्रिक ताईंनी तिला दत्तक घ्यायचा निर्णय घेतला आहे. आम्ही सर्व माय मावश्या आज जातोय तिची कुरवंडी करायला ताईकड़े.
निशिकांत कोचकर  : माझ्या सारख्या अकिंचन व्यक्तिच्या हातात लोकमान्य टिळकांचं " गीता रहस्य" लागलं आणि मी ते साद्यंत वाचून काढलं.
 रेखा मिरजकर  :१. *साद्यंत* महापूजेचा तो सोहळा पाहून भक्तांच्या डोळ्याचे पारणे फिटले.
२.  वस्त्र गोपनकरुन दारिद्रय़ लपविता येते पण दुभंगलेली मने शिवताना कोणता धागा वापरायचा हे कळले पहिजे.
३.  अकिंचन माणसाला मदत करणे सोडाच ,पण त्याच्या आसपासही कोणी फिरकत नाही
४.  सिंहगड सर झाला खरा,पण त्यासाठी तानाजीनेप्राणाची  *कुरवंडी* केली
 निशा देशपांडे: करोनि गोपन वस्त्र धारितो
कोणी लाचार अकिंचन
साद्यंत साथ  त्याची करितो
त्या श्रीमंताचे मोठे मन
 जया गाडगे : त्या *अकिंचन* बटुने, स्वतःची *वस्त्रे गोपन* करून, स्नानादी उरकून, काल्पनिक पूजा साहित्याने, श्रीकृष्णाची *साद्यंत* मानस पूजा केली व काल्पनिक आरतीने *कुरवंडीही* घेतलेली पाहून, प्रत्यक्ष देवही प्रसन्न झाले असतील.
 रवींद्र भालेराव: सेतू बांधत आसताना खारीने देखील अकिंचन का होईना, पण मदत नक्कीच केली होती.
राधिका इंगळे :1) वस्त्र गोपन- वापरा आणि फेका च्या काळात आजकालच्या मुलींना वस्त्र गोपनाची कला अवगत नाही. 
2)कुरवंडी- या देहाचीच कुरवंडी केली तरीही मायभूमीचे ऋण फेडता येणार नाही. 
3)साद्यंत - कुठलेही  ध्येय गाठण्यासाठी त्या क्षेत्रातील साद्यंत माहिती वारंवार पडताळून पाहणे गरचेचे आहे. 
4)अकिंचन- मों  समान अकिंचन नाही,  अकिंचन तारन तोसों ।
अलकनंदा साने: आजचे शब्द तर वेगळे होतेच, त्या बरोबर शब्द प्रयोग देखील छान झाले आणि प्रतिसाद उत्तम .

०५/१०/२०१८ 
राधिका इंगळे --  ओखटी-  व्यर्थ, महत्वहीन  
  रेखा मिरजकर--  'आरुष' म्हणजे ओबडधोबड, मूळ शब्द आहे आर्ष. *आरूष* चाआणखी एक अर्थअसमंजस,छांदिष्ट असाही आहे.
    राहुल उज्जैनकर 'फ़राज़' -- थेंटा अर्थ आहे थिट
वैजयंती दाते  -- *सव्यापसव्य*=उलट-सुलट,यातायात,खटपट
  राधिका इंगळे  :   उतारवयात संसाराची प्रपंच माया ओखटी जाणवू लागते.
 अलकनंदा साने: आपण अनेक वेळा महत्वाच्या मुद्द्यांना फाटे फोडतो आणि शेवटी कळते की त्या बाबी *ओखटी* होत्या.
 सुषमा अवधूत : ह्या जीवनात कोणतीही व्यक्ति *ओखटी* नसते
देवाने निर्माण केलेली कोणतीही रचना *ओखटी* नसते
 रवींद्र भालेराव : ओखटी मुद्दयांकडे दुर्लक्ष करणे हीच सुखी जीवनाची गुरूकिल्ली.
  रेखा मिरजकर : माझी सुरवातीची कविता म्हणजे बोली *आरूषाची* होती
सुषमा अवधूत: जीवनातील *सव्यापसव्य* घडामोडीत चित्त शांत ठेवणे ही मोठी गोष्ट आहे
 सुषमा अवधूत  : परिश्रमी माणसाचे हात *आरूष* असतात
 जया गाडगे: सुंठ घासाया खापरी येते कामी, जगात *ओखटी* वस्तू नाही.
 रेखा मिरजकर  *आरूष* चाआणखी एक अर्थ
असमंजस,छांदिष्ट असाही आहे
राहुल उज्जैनकर 'फ़राज़  : नाशिबाने केला घात, मधु-प्राशन अपूर्ण राहिला।
अधर कलश तिचा दोन-चार हाथच, थेंटा राहिला।
जया गाडगे  : वाहतूकीच्या *सव्यापसव्यामुळे* शहरात वाहने चालविणे दिवसेंदिवस कठीण होत चालले आहे.
जया गाडगे  : फणसासारखे होते बाबा
                   काळजात लपवी गोड गरे
                   चेहऱ्यावर *आरुष* मुखवटा
                    अंतरात वाहे, स्नेहाचे झरे 
जया गाडगे  : अप्पूराजा चित्रपटात *थेंट्या* माणसाच्या भूमिकेत कमल हासनने जीव ओतून अभिनय केला.
 रेखा मिरजकर  : तिची उंची वाढत गेली म्हणून तिचा  झगा तिला *थेंटा* झाला.
 रेखा मिरजकर: शेवटी काहीच निष्पन्न झाले नाही, वादविवाद
सगळे च *ओखटी*
 रेखा मिरजकर  : राजकारणात घडणा-या
*सव्यापसव्य* घटनांमुळे तरुण पिढीची
दिशाभूल होते आहे
अलकनंदा साने: नाशिबाने -- नशीबाने
प्राशन राहिला -- प्राशन राहिलं 
प्राशन करणं हे नपुंसक क्रियापद आहे.
अलकनंदा साने: कमी शिकलेला माणूस *आरूष* असला तरी बहुतेक वेळा मनाचा सच्चा असतो .
राहुल उज्जैनकर 'फ़राज़   : मान्य !! चूक झाली खरी...चूक निदर्शना बद्दल आभार...
 अलकनंदा साने: जगाच्या दृष्टीने आर्ष असणारे कधी कधी *सव्यापसव्य* करून जगावेगळं काम करून जातात.
अलकनंदा साने: वरवर विचार करणा-याचं *थेंटं* कृत्य उघडकीस यायला वेळ लागत नाही.
 रवींद्र भालेराव : रेल्वेच्या प्रवासात उंच लोकांसाठी थेंटा साईड बर्थ सोयीस्कर नसतो.
स्वार्थी पुढाऱ्यांच्या सव्यापसव्य कारभारामुळे देशाचं प्रचंड नुकसान झालेलं आहे.
वरवर आरूष दिसणारे बरेच लोक मनाने हळवे असतात.
निशिकांत कोचकर : आजकाल समाचार माध्यमांवर ओखटी चर्चा चालू असते.लोकं सव्यापसव्य मुद्दे मांडतात.
 पुरूषोत्तम सप्रे  : सव्य अपसव्य संधी- सव्यापसव्य. 
(पूजेच्या वेळी विशेष करून श्राद्धाच्या वेळी जानवे डावीकडून उजवीकडे आणि उजवीकडून डावीकडे करणे.)  म्हणजेच उलटसुलट.
 मंदा गंधे  आरुष-बऱ्याच जुन्या मंदिरांचे बांधकाम आरुष असले तरी तेथे मनाला शांती मिळते.
ओखटी- योजलेल्या कार्यात अपयश आले तर सारे काही ओखटे वाटू लागते!
सव्यापसव्य-आजकाल नोकरीसाठी शिक्षण असले तरी खूप सव्यापसव्य करावे लागते.
थेंटा-ध्येयप्राप्तीसाठी विचार,निश्चय,प्रयत्न थेटा असून चालत नाही.
शांता लागू  : १) राजकारण्यांची *ओखटी* भाषणे ऐकून जनता आता वैतागून गेली आहे.
२) सगळे सामान आॅन लाईन घरपोच मिळत असताना बाजारात खरेदीसाठी  वारंवार खेटे घालण्याचे *सव्यापसव्य* कशाला करायचे? 
३) कपडा लांब झाला तर कमी करता येतो पण *थेंटाच* झाला तर वाढवता येत नाही.
४) ग्रामीण भागात लोक आरुष भाषा बोलले तरी मनाने खूप संवेदनशील असतात.
: *आरुष*
दीपक देशपांडे: " ओखटी " असते  काळजी भविष्याची ..
 काळजी असावी आजच्या सुधारण्याची ..
" सव्यापसव्य " बोलू नये कधी ..
शब्दवाण सोड पण कर विचार आधी ..
राधिका इंगळे  : आजकाल मूवर्स  एँड पॅकर्स ची सोय झाल्या मुळे बदली झालेल्या लोकांना सामानाच्या हलवाहलवी साठी जास्त  सव्यापसव्य करावे लागत नाही. 
पावसाळ्यात हिरवळी मुळे आरूष डोंगर पण सुंदर दिसायला  लागतात. 
त्याच्या आरूष स्वभावामुळे त्याचे  कुणाशीच सूत जमले नाही. 
त्या थेंट्या माणसाने मेराथन रेस सर्वात आधी पूर्ण केल्याने आश्चर्याचा धक्काच बसला.
दीपक देशपांडे: " आरुष " वाटचालेवर चालून चालून दमून ..
 शेवट एक विसावा ....
" पथीक हो घ्या इथे विश्रांती " ....
  दीपक देशपांडे  : भाग्याची चादर कितीही  " थेंटा " असो हरकत नाही ..
प्रयत्नाचा पाय कधीही पोटा जवळ मोडू नको ..
  राधिका इंगळे  : ओखटी ही प्रपंच माया 
मिळे नच क्षणैक विश्रांती 
धाव पाव रे गोविंदा 
तव पद दर्शन दे अंती.
  माधुरी खर्डेनवीस  : *आरुष* नशिबा पुढे कुणाचे काय कधी चालले
*ओखटी* ही संसारा  माया, 
आज मला भासले
जगणे मरणे, पुन्हा जन्मणे, *सव्यापसव्य* जाहले
  *थेंटे* माझे प्रयत्न ठरले ,
  गुरु चरण म्या धरले
 अरूणा ख़रगोणकर : समाजाच्या  ज्या  वर्गात अपराध  घटित  होतात ते लोक जोवर जागरूक  होत नाहीं तोवर  टी. वी. चैनलवर होणारी चर्चा  ओखटी वाटते.
       ऋचा कर्पे : 1 *ओखटी* बडबड टाळणे हाच शहाणपण होय.
2. *सव्यापसव्याच्या* आधुनिक साधनांमुळे आज जग लहान झाले आहे.
3. जंगलातल्या निर्जन *आरूष* रस्त्यावर तो *थेंडा* मनुष्य एकाकी चालत होता.

१२/१०/२०१८ 

वसुधा गाडगीळ  :  *कडेकपारी*  = * उभे डोंगर* 
विवेक सावरीकर :  *उडंगळ*=आळशी
रेखा मिरजकर : *टूक* = कुशलता,कौशल्य.
विशाखा मुलमुले: *अम्लान*  = प्रसन्न , प्रफुल्ल ,जो मुरझाया हुआ न हो 
शुभा देशपांडे: आळी =हट्ट

सुरेश कुलकर्णी  : श्री अमरनाथ यात्रा करतांना मनात हा विचार यावयचा की कुठे कड़ेकपारित लपला आपला देव ?
२. कोणतेही वाहन अम्लान वातावरणात आणि टुकीने चालवावे लागते अन्यथा अपघात हा होणारच 
रेखा मिरजकर : संसार टूकीने चालवावा लागतो.
विशाखा मुलमुले : पारिजात के पुष्प वृक्ष से टूटकर भी अम्लान धरा पर बिखरे रहतें हैं
वसुधा गाडगीळ  : आयुष्यात संघर्ष करून मुक्काम गाठणे म्हणजे *कडेकपारी* चढणे आहे.
जया गाडगे : उतारवयात, *अम्लान* चेहऱ्याने, *कडेकपारी* वसलेल्या दुर्गा देवीचा दुर्गम चढ आजोबा मोठ्या *टूकीने* चढले.
विशाखा मुलमुले: आयुष्याचा कडकेपारी टुकीने पार केले की जीवन आपोआप अम्लान होते ।
विवेक सावरीकर : 1.तो इतका *उडंगळ* आहे की सगळं त्याला हाताशी लागतं.
2.आई नेहमी सांगायची की इतका *उडंगळपणा* बरा नाही.
सुरेश कुलकर्णी : नवीन  आयुक्त इतके कड़क होते की त्यांना उडंगळ कर्मचारी नापसन्त होते । त्यांना ते फैलावर घेत ।
शांता लागू : कडेकपारीमधून झुळझुळ वहाणारा झरा आपले मन अम्लान करतो.
मंदा गंधे: १. खरंच उडंगळपणा बरा नसतो, पण आईचं ऐकतील तर  ती मुलं कसली ?
२. टुकीने कोणतीही गोष्ट केली तर ती सर्वांना आवडते.
३. अम्लान फुले पाहिली की मन प्रसन्न होते.
४. आयुष्याची कडेकपार पार करतानाकधीकधी दमछाक होते.
 अलका फणसे: कुठलाही व्यक्ति यशाची *कडेकपारी टुकीने* चढून शिखरावर पोहचतो  तेंव्हा त्याच्या *उडंगळपणाला* सारून केलेल्या श्रमाचं *अम्लान* मनाने कौतुक हे झालंच पाहिजे.
 वैजयंती दाते : *कडेकपारी* चढून देवीच्या दर्शनाने *अम्लान* होऊन प्रार्थना करते की *उडंगळ* लोकांना कर्म करायची प्रेरणा दे.
शांता लागू : नवी पिढी फार *उडंगळ* झाल्याने कोणतीही जबाबदारी टाळण्याकडे कल वाढत चालला आहे.
अलकनंदा साने: १. विचार काव्यमय  असू शकतात , पण विचारांचे नुस्ते *कडेकपार* म्हणजे काव्य असू शकत नाही.
२. एकाहून अधिक भाषा येत असल्या तर त्या वापरताना सावध रहावं लागतं , उदाहरणार्थ मराठीच्या *टूक*(कौशल) ला जास्त प्रभावी करण्यासाठी  हिन्दीत जर त्यापुढे दो लावून *दो टूक* केले तर भांडण व्हायला वेळ लागणार नाही.
३. कोठल्याही परिस्थितित *अम्लान* राहणे ये-या गबाळ्याचे काम नव्हे .
४. उडाणटप्पू पेक्षा *उडंगळ* बरा .
माधुरी खर्डेनवीस  : वाह खूप छान वाक्य प्रयोग
रेखा मिरजकर: गोव्याहून  अंबोली घाटातील पावसाळ्यातील सहल म्हणजे *कडेकपारीत* झेपावणा-या *अम्लान* 
झ-यांचे सौंदर्य न्याहाळत  भटकणे., पण त्या साठी *उंडगळ* झटकून  *टूकीने* पायी भ्रमंती 
करायची तयारी हवी.
निशिकांत कोचकर: उडांगल पणा सोडला तर कडेकपारी चढायला काहीच वाटणार नाही,उलट अम्लान चेहऱ्याने आपलं टू क गाठण्याच समाधान लाभेल
 राधिका इंगळे :१.  संह्याद्रीच्या कडेकपारीत  आज ही शिवरायांचं नाव घेतलं की हर हर महादेव ऐकल्याचा भास होतो. 
२. मेकअप शिवाय ही अम्लान दिसणारी व्यक्ती खरी सौंदर्यवती. 
३. कमी पगारात पण कुशल गृहिणी टूकीने संसार करू शकते. 
४. चोख  कामाची सवय असलेल्या कर्मचारी  उडंगळपणा करूच शकत नाही.
 शुभा देशपांडे: सीतेच्या आळी मुळेच  रावणाव्दारे तीचे अपहरण झाले.
२.  गंगोत्रीच्या रस्त्यावर दोन्ही बाजूला कडेकपारी जणु आपल्या अंगावर येतात कां?काय!असे भासते.
३. मोजक्या मिळकीत संसार चालविणे खरच टुकता आहे.
४.  घराबाहेर बहरलेल्या मधुमालतीच्या वेली कडे पाहून मन अम्लान होते.
५.  आजचे माता-पिता मुलांच्या इतकं पुढे -पुढे करतात की त्यामुळे मुलं उडंगळ बनतात.
वसुधा गाडगीळ : १. ज्या माणसाच्या हातात *टूक* असते तो आयुष्यात सदैव *अम्लान* असतो पण *उडंगळ* माणसाच्या लक्षात हे कधीच येत नाही.
२.  बालपणाच्या *आळीतही* कौतुक वाटत.
३. तुकाराम भक्तित लीन असल्याने आवलीलाच   *टुकीने *संसार सम्भाळावा लागला
दीपक देशपांडे : पहा * टूक * पाखरांचे नाही दिसु देत टोक घरट्याच्या वीणचे .
२.  पाणी थेंब थेंब गळ ....
वाटते पाऊस आहे उडंगळ ....
सुरेश कुलकर्णी: लहान मूल जेव्हा सारखे चॉकलेट मागत असते तेव्हा त्याची आई त्याच्या आळी कड़े दुर्लक्ष करते 
अरूणा ख़रगोणकर: १. सह्याद्रीच्‌या कडे कपारीं  मध्ये  आपल्‌या  मावळ्यां सोबत फ़िरून (लपून ) शिवाजी  मोगल सैन्याशी  गनिमी युद्ध  करीत असत 
२. भरत कामात मावशीचे टूक वाखाणण्‌यां सारखे  होते.
३. उडंगळ विद्यार्थ्याला विद्या  येत नाहीं.
४. कक्षा में विद्यार्थियों  के अम्लान  चेहरे  देखकर अध्यापिका अपना दुख भूल गई.
५. सत्यभामेच्या  आळीमुळे  श्रीकृष्णाला स्वर्गातून  पारिजातकाचे रोप पृथ्वीवर आणावे लागले.

१९/१०/२०१८

सुषमा अवधूत: वइलिया = लौकर, तातडीने 
गडणी/नी = सखी,मैत्रीण
अदिति लोखंडे : इत्थंभूत = सविस्तार 
सुषमा ठाकुर : "झपूर्झा = झपूर्झा-ह्या शब्दाची व्याप्ती खूप मोठी आहे. ही एक अवस्था आहे झपाटलेपणाची..जे काम हाती घेतलं त्यात झोकून देऊन समर्पणाने त्या कामाची पूर्तता करताना एखाद्याची जी अवस्था होते तीच ही अवस्था.
स्वरांगी साने : मावळ = आजोळ(आईचं माहेर) 
गडणी/नी = सखी,मैत्रीण
सुरेश कुलकर्णी = वळचन याचा अर्थ छपराचा भिंतिच्याही पुढे आलेला भाग 
स्वाति श्रोत्री =  अवजड  याचा अर्थ आहे वजनदार

सुषमा अवधूत : १.मायमावशीतील ब-याच सदस्यांना  आपण उज्जैनला *वइलिया* भेटणार आहोत. 
२. काही काही गोष्टी *इत्थंभूत* सांगितल्या तरच समजतात
अदिति लोखंडे : शाळेत काय घडलं  ते लेकीनी आईला इत्थंभूत सॉगितला.
सुषमा ठाकुर: हर्षखेद ते मावळले
हास्य निमाले | अश्रु पळाले;
कंटक-शल्ये बोथटली,
मखमालीची लव वठली;
कांहे न दिसे दृष्टीला
प्रकाश गेला | तिमिर हरपला;
काय म्हणावे या स्थितीला?
झपूर्झा ! गडे झपूर्झा
--- केशवसुत
सुरेश कुलकर्णी: आजकाल वळचण असलेली घर बनत नाही.  त्यामुळे आगन्तुकाला विसाव्या साठी जागा उरली नाही. 
२.  सुट्टीत मामाच्या गावी जाताना त्याला भेटायची इतकी वइलिया असते की कार किती हळू हळू जाते असे विचार येतात 
३. भारतीय चेंडू फ़ळी खेळाडू जेव्हा पाकिस्तान बरोबर खेळतात तेव्हा ते आपल्याला झपुरझा करून टाकतात
४.  पूर्वी सारख्या *अवजड* ट्रंका आजकाल दिसत नाही
आशा वडनेरे: लहानपणी  शाळेतून  घरी आल्यावर आईला  वइलिया इत्थंभूत जोपर्यंत सांगत नाही  तोपर्यंत अगदी  झपूर्झा अवस्था  असते.मावळकडे तर प्रेमाची  वळचण  असते  सतत चोहिंकडे  आणि   मायेचे हे पांघरुण  कधीच अवजड वाटत नाही 
 राधिका इंगळे: माय मावशी समूहाच्या सदस्यांनी समूह कायम ठेवण्याची मोहीम वइलिया सुरु करून साहित्यिक वळचणीला उभे राहून गडणींन सोबत झपूर्झा साहित्य संमेलन करावे आणि त्याची इत्थंभूत माहिती संकलित करावी हाच दस-याच्या दिवशीचा संकल्प.
२.  माझी इच्छा मुळीच अवजड नाही बरं
 इथे  भावनिक  अवजड मानावे.
३.मुहूर्त निघून जाईल. *व ईलिया * ये
४.  मावळातील  आठवणी स्मृति गंधाची कुप्पी 
 मंदा गंधे :१.  नवीन ,अनोळखी ठिकाणची इत्थंभूत माहिती काढण्याचा प्रयत्नकरावा,फसगत कमी होईल.
२. अपघातात,जखमेवर वइलिया उपचार केले पाहिजेत.
३. अवजड सामानासाठी आजकाल खूप सेवा कार्यरत आहेत.
४. ध्येय गाठण्यासाठी मनाची अवस्था झपुर्झा झाल्यागत होते आणि त्याने यशही मिळते.
५. पावसाची रिपरिप चालली होती,वळचणीला इवलीशी दोन पाखरं अंग चोरून बसली होती.
६.  मावळघरचं प्रेम,जिव्हाळा आजन्म लक्षात रहातो.
 अलकनंदा साने:१.  *वइलिया* वइलिया या, अनवट संपदेत भाग घ्या
२. माझी एक मैत्रीण आहे. ती प्रत्येक ठिकाणी उशीराने पोहचते नि कारण विचारलं की सकाळी उठल्यापासूनची *इत्थंभूत* माहिती देते . 
३. *झपूर्झा* शब्द अनेक वेळा वाचनात आला होता , पण सुषमा ठाकूरमुळे आज  त्याचा अर्थ कळला . 
४. स्वरांगी, *मावळ* आणि *गडणी* कितीही आवडीचे असले तरी अनवट संपदात  शब्द एकच द्यायचा असतो .
५. पूर्वी *वळचणी* चा उपयोग एखादी वस्तु लपविण्यासाठी सुद्धा होत असे . 
६. अनेक जण आपल्या लिखाणात , बोलण्यात मुद्दाम *अवजड* शब्द वापरून स्वतःला खूप ज्ञानी दाखविण्याचा फसवा प्रयोग करतात.
  रेखा मिरजकर: १. मुहूर्त निघून जाईल वईलिया ये.
२. तू सांग नाही तर नको सांगूस,मला तुझी इत्थंभूत बातमी कळतेच.
३.  मालगुडला जातानां केशवसुतांच्या कवितेंच्या आठवणीने मनात झपुर्झा मांडला होता.
४.  अति झालं आणि आढ्याचं पाणी वळचणीला गेलं.
५.  अवजड भाजीपाल्याचीबुट्टी डोक्यावर वाहून तिची मान अवघडून गेली.
६. सुट्टीत मावळघरी जाऊन गडणींसमवेत घालवलेल्या त्या दिवसांच्या आठवणींची 
शिदोरी जन्मभर पुरेल ईतकी असते.
सुरेश कुलकर्णी: आई वडील गेल्या नंतर स्त्री ला मावळ कायमच अन्तरते कारण तस निर्व्याज प्रेम परत कधीही मिळत नाही ।
 विवेक सावरीकर : वईलिया यावी आता मेळाव्याची तिथी
शांता लागू : १. *मावळाच्या* घराच्या *वळचणीला* चिमणी पाखरं चिवचिवाट करायची.
२. *झपूर्झा* अवस्थेत घडलेला प्रसंग तिने *इत्थंभूत* वर्णन केला.आणि तिच्या *अवजड* भावनांना  *वइलिया* वाट मिळाली.
जया गाडगे : विविध विषयांची *इत्थंभूत* माहिती देणारा, साहित्यवेडाने *झपूर्झा* झालेल्या, *मावळासारखी* माया देणाऱ्या, मायमावशी समूहाचा निरोप घेण्याचे *अवजड* कार्य इतक्या *वयलिया* करणे, *वळचणीचे* पाणी आढ्याला नेण्याइतपत कठीण आहे.
माधुरी खर्डेनवीस:१.  दिवाळी जवळ आली आहे घराची डागडुजी वैइलियाच करणे गरजे चे आहे.
२. सोयरीक जुळवण्या आधी मुलाची इथम्भूत माहिती काढून घेतलेली बरी
३. वळचणी च्या पाण्याचा तो मधुर नाद  ऐकून गावाची आठवण आली. 
४. परीक्षा जवळ आली की मुलांची अवस्था म्हणजे अगदी झपूर्झा गं बाई झपूर्झा!!
५.  मावळघर म्हणजे आम्हा मुलांची चैनीची जागा..
६.  जुन्या घरातील सामान अतिशय अवजड होते, त्यामुळे नव्या घरात नवेच सामान घेतले.
अर्चना शेवडे : १. कांही आठवणी वळचणीत दडून असतात मात्र मावळ जवळ येताच त्या झिरपतात आपसूकच
२.  आम्ही चौघी भेटलो काय झपूर्झागत मायमावशीपर्यंत प्रवास सहजचं शक्य झाला
३.  साद काय अनुवाद काय सगळ्यांचा वइलिया प्रतिसाद मिळाला
४.  बोच-या आठवणी अवजड होण्या अगोदर स्वत:ला कोषातून बाहेर काढावे व सत्कार्यांत गुंतवून घ्यावे

 अलकनंदा साने: *अनवट संपदा* ह्या उपक्रमाला अपेक्षेपेक्षा जास्त चांगला प्रतिसाद मिळाला. एकूण सक्रिय सदस्यांची अक्षरानुक्रमाने यादी दिली होती, त्यात पहिले ४३ नावं होती . मागील आठवड्यात अदिति लोखंडे यांनी स्वस्फूर्तीने स्वतःचे नाव नोंदवले , पण आज उपस्थिति नोंदवली. असे एकूण ४४ पैकी ७ सदस्य फक्त अनुपस्थित राहिले. इतर उपक्रमांच्या मानाने हा आकडा स्पृहणीय आहे.

  दोन/तिन वेळा स्पष्ट केले तरी  ब-याच जणांना अनवट ह्या शब्दाचा  नीटसा अर्थबोध  झाला नाही, असे वाटते . आजचेच शब्द बघितले तर इत्थंभूत आणि अवजड दोन्ही ब-यापैकी प्रचलित आहेत. इतर दिवशी पण असे झाले आहे , कधी ते नीटसे आठवत नाही, पण अल्पकालीन असला तरीही हा उपक्रम नेटका आणि छान झाला. कोठल्याही उपक्रमात महत्वाचा असतो तो प्रतिसाद आणि आपल्या कुटुंबातील ह्या शेंडेफळाला तो भरभरून मिळाला. 

सर्वांचे मनापासून आभार.

पुरूषोत्तम सप्रे: झपूर्झा आणि वळचण हे शब्दसुध्दा महाराष्ट्रात वापरात आहेत.
अलकनंदा साने: समूहात आपण नेहमीच स्थानिक दृष्टिकोण ठेवून विचार केला आहे.



2 comments:

  1. हे भारी आहे. शब्द संपदा वाढवायला खूप उपयोगी पान

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